जस्टिस यशवंत वर्मा पर क्या सुप्रीम कोर्ट मेहरबान? नोट कांड से पहले भी CBI-ED ने लिया था नाम, फिर…

Justice Yashwant Varma News: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले से कैश मिलने की खबर से हड़कंप मच गया है. 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का जज बनने से पहले भी उन पर सीबीआई और ईडी ने एक केस में उनका नाम लिया था. जानें फिर क्या हुआ…
- जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले से कैश मिलने की खबर.
- 2014 में भी वर्मा पर सीबीआई और ईडी की जांच.
- सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा के ट्रांसफर की खबर का खंडन किया.
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम इन दिनों खूब सुर्खियों में है. उनके सरकारी बंगले के एक कमरे से कथित रूप से कैश का अंबार मिलने की खबर से लोग हैरान हैं. यह घटना वैसे तो होली के वक्त की बताई जा रही है, जो कल मीडिया रिपोर्ट से सामने आई. इसके बाद खबर आई कि उनका दिल्ली से वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसका खंडन किया है. इस बीच अब पता चला है कि वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का जज बनने से पहले भी सीबीआई की एफआईआर और प्रवर्तन निदेशालय (EC) की ईसीआईआर में सामने आ चुका है.
यह मामला उस समय का है जब वर्मा एक कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे. CNN-News18 के पास सीबीआई और ईडी की वे रिपोर्ट मौजूद हैं, जिनमें वर्मा को आरोपी के रूप में शामिल किया गया था. हालांकि, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सिंभौली शुगर्स मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए थे.
सीबीआई की जांच और जस्टिस वर्मा पर आरोप
वर्ष 2018 में दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर में वर्मा का नाम शामिल था. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में वर्मा को ‘आरोपी नंबर 10’ के रूप में सूचीबद्ध किया था. आरोप था कि कंपनी ने किसानों के लिए कृषि उपकरण और अन्य जरूरतों के नाम पर बड़ा लोन लिया, लेकिन उसे हड़प लिया और अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया. यह सीधे तौर पर पैसों के गबन और धोखाधड़ी का मामला था.
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने सिंभौली शुगर्स लिमिटेड को संदिग्ध धोखाधड़ी के रूप में चिह्नित किया था, जिसमें 97.85 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा था. बैंक ने 13 मई 2015 को इस धोखाधड़ी की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दी थी.
सीबीआई एफआईआर के पांच दिन बाद, ईडी ने भी 27 फरवरी 2018 को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया. यह मामला लखनऊ स्थित प्रवर्तन निदेशालय थाने में दर्ज किया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज करने के कुछ समय बाद वर्मा का नाम चार्जशीट से हटा दिया गया था और एजेंसी ने अदालत को इस बारे में सूचित किया था. हालांकि, अब जब उनके खिलाफ संदिग्ध नकदी को लेकर मामला गरमाया है, तो उनके पुराने रिकॉर्ड फिर से सुर्खियों में आ गए हैं.