रिटायर्ड जज एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाने से न्यायपालिका की आजादी के लिए यह कदम खतरा:कांग्रेस नाराज

नई दिल्ली
सरकार ने रविवार को छह नए चेहरों को राज्यपाल बनाया है, जिसमें 2019 के ऐतिहासिक अयोध्या फैसले का हिस्सा रहे नजीर और चार भाजपा नेता शामिल हैं।
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधा। पार्टी ने इस तरह की नियुक्तियों के खिलाफ दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली की टिप्पणी का हवाला दिया और इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
सरकार ने रविवार को छह नए चेहरों को राज्यपाल बनाया है, जिसमें 2019 के ऐतिहासिक अयोध्या फैसले का हिस्सा रहे नजीर और चार भाजपा नेता शामिल हैं। चार जनवरी को सेवानिवृत्त हुए नजीर राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद, तत्काल ‘तीन तलाक’ और ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकार घोषित करने वाले फैसलों सहित कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का साल 2012 का एक वीडियो टैग किया है जिसमें वह कह रहे हैं कि सेवानिवृत्ति से पहले के फैसले सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों से प्रभावित होते हैं। रमेश ने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, पिछले 3-4 वर्षों में निश्चित रूप से इसके पर्याप्त सबूत हैं।
नजीर की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, दुख की बात है कि आपके (भाजपा के) कद्दावर नेताओं में से एक अरुण जेटली ने पांच सितंबर, 2013 को सदन में और कई बार बाहर कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी की इच्छा सेवानिवृत्ति से पहले के फैसलों को प्रभावित करती है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है। उन्होंने इस तर्क को भी खारिज किया कि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है इसलिए इस तरह की नियुक्ति स्वीकार्य है।
हर मुद्दे का राजनीतिकरण करना कांग्रेस की आदत : भाजपा
भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस अब्दुल नजीर की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति को लेकर कांग्रेस की आलोचना को खारिज कर दिया। कहा कि ऐसी नियुक्तियों के पहले से उदाहरण हैं और ऐसा करना संविधान में प्रतिबंधित नहीं हैं। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि कांग्रेस की हर मुद्दे का राजनीतिकरण करने की आदत हो गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दल राज्यपालों की नियुक्ति के साथ भी ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भी न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्ति के खिलाफ कुछ नहीं कहता है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने कई मौकों पर ऐसी नियुक्तियां की हैं।
पूर्व जजों की नियुक्ति की आलोचना पर पूर्व जस्टिस थिप्से का बयान
वहीं, सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जस्टिस एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाए जाने की विपक्षी दलों की ओर से हो रही आलोचना के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभय थिप्से ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद कुछ पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की तब तक आलोचना नहीं होनी चाहिए जब तक उन्होंने सत्तारूढ़ दल के पक्ष में निर्णय पारित नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि यदि सरकार के लिए किए गए कार्यों के लिए ‘इनाम’ के तौर पर नियुक्ति की गई है तो सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्तियों की व्यक्तिगत रूप से जांच की जानी चाहिए लेकिन हर नियुक्ति पर हर बार सामान्य चलन के तौर पर आलोचना नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी न्यायाधीश ने सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में फैसला सुनाया है या फिर कुछ किया है और बाद में किसी पद पर नियुक्त किया जाता है तो यह आलोचना की वजह बनता है।
पूर्व जज ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सखाराम सिंह यादव ने कहा, जस्टिस अब्दुल नजीर ने हमेशा कानून के हिसाब से फैसले दिए। उनकी राज्यपाल के तौर पर नियुक्ति से न्यायतंत्र में विश्वास कम होने की कोई बात नहीं है। अगर किसी को लगता है कि उन्हें किसी फैसले का इनाम दिया गया है तो ये गलत है।