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PM मोदी पर तंज=‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा…’ फिर कैसे बढ़ी कुछ उद्योगपतियों की संपत्ति?:दिग्विजय सिंह

Digvijay Singh on PM Modi: दिग्विजय सिंह ने कहा, “कोविड के समय हर व्यक्ति की आमदनी कम हुई, लेकिन देश के कुछ चहेते उद्योगपतियों की पूंजी तेजी से बढ़ी। सोचने की बात है ऐसा कैसे हुआ… मोदी जी कहते हैं कि ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा उसका मतलब है कि मैं खुद ही खाऊंगा, दूसरों को नहीं खाने दूंगा।”

भोपाल

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कोरोना काल में कुछ चुनिंदा बिजनेसमैन की पूंजी तेजी से बढ़ी है, जबकि लोगों की कमाई कम हुई।

प्रधानमंत्री मोदी को लेकर की ये टिप्पणी

भोपाल में उन्होंने कहा, “कोविड के समय हर व्यक्ति की आमदनी कम हुई, लेकिन देश के कुछ चहेते उद्योगपतियों की पूंजी तेजी से बढ़ी। सोचने की बात है ऐसा कैसे हुआ… मोदी जी कहते हैं कि ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा उसका मतलब है कि मैं खुद ही खाऊंगा, दूसरों को नहीं खाने दूंगा।”

व्यापमं मामले में दिग्विजय सिंह को मिली जमानत

भोपाल की एक जिला अदालत सेदिग्विजय सिंह को व्यापमं मामले में जमानत मिल गई है। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझ पर 4 राज्यों में मानहानि के प्रकरण चल रहे हैं क्योंकि इनके पास कुछ और नहीं है। मैंने अपनी जमानत करा ली। इस प्रकरण में तो हमारी सीबीआई जांच की मांग भी स्वीकार हुई है, लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो आरोपी हैं, आज तक उनको शिवराज सरकार ने हटाया नहीं है।”

उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान और उनके दलालों की मिलीभगत है, जिन्होंने प्रदेश को लूटा है। बता दें कि व्यापमं मामले में 7 साल पहले बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। आज इस मामले में उनकी पेशी थी और उन्हें अब जमानत मिल गई है।

अपनी प्राथमिकी में वीडी शर्मा ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने 4 जुलाई, 2014 को उन पर व्यापमं घोटाले में बिचौलिया होने का आरोप लगाया था, जिससे उनकी छवि धूमिल हुई थी। व्यापमं यामध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड में घोटाला 2013 में सामने आया था। इस मामले में उम्मीदवारों ने अधिकारियों को रिश्वत दी थी और परीक्षाओं में धांधली की थी। यह घोटाला 1995 में शुरू हुआ जिसमें राजनेता, वरिष्ठ अधिकारी और व्यवसायी शामिल थे।

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