दिल्ली

68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, राहुल को दोषी ठहराने वाले CJM भी शामिल

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के सीनियर सिविल जज कैडर के दो न्यायिक अफसरों रवि कुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता ने याचिका दायर की है। दोनों अफसरों ने अपनी याचिका में मांग की है कि हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत 68 अफसरों के प्रमोशन को रद्द किया जाए और नए सिरे से मेरिट कम सिनियॉरिटी आधार पर लिस्ट तैयार की जाए।सुप्रीम कोर्ट नौ मई को गुजरात के 68 निचले न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर कथित रूप से “मेरिट कम सिनियॉरिटी” की अवहेलना करने के आधार पर सुनवाई करेगा। इन न्यायिक अधिकारियों में सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरीश हसमुखभाई वर्मा का नाम भी शामिल है। वर्मा ने मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने एक मई को जिला न्यायाधीशों के उच्च कैडर में 68 न्यायिक अधिकारियों के चयन को चुनौती देने वाले वरिष्ठ सिविल जज कैडर के अधिकारियों रविकुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए तय किया है।
दो अफसरों ने प्रमोशन को दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के सीनियर सिविल जज कैडर के दो न्यायिक अफसरों रवि कुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता ने याचिका दायर की है। रवि कुमार मेहता गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं। वहीं, सचिन प्रतापराय मेहता गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। दोनों अफसरों ने अपनी याचिका में मांग की है कि हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत 68 अफसरों के प्रमोशन को रद्द किया जाए और नए सिरे से मेरिट कम सिनियॉरिटी आधार पर लिस्ट तैयार की जाए।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल किए, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। बल्कि उनसे कम अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट को प्रमोट कर दिया गया। बता दें कि हरीश हसमुखभाई वर्मा का प्रमोशन के बाद ट्रांसफर भी कर दिया गया था और उन्हें राजकोट जिला न्यायालय में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट जता चुका है नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 18 अप्रैल के उस नोटिफिकेशन, जिसके जरिए जजों का तबादला किया था, पर तीखी नाराजगी जाहिर की थी। क्योंकि मामला न्यायालय के सामने विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायालय के काम में हस्तक्षेप मानते हुए 13 अप्रैल को राज्य सरकार के सेक्रेटरी और गुजरात उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया था और पूछा था कि जब मामला न्यायालय के सामने लंबित है तो प्रमोशन और 18 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी करने की क्या आवश्यकता थी?
जज वर्मा को कैसे मिला प्रमोशन?
गुजरात हाईकोर्ट ने 10 मार्च, 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके मुताबिक हरीश हसमुख भाई वर्मा समेत कुल 68 जजों को ड्रिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोट किया गया था। ये 68 जज, 65 फीसदी प्रमोशन कोटा के तहत आयोजित परीक्षा में शामिल हुए थे और सफल रहे। हरीश हसमुखभाई वर्मा की बात करें तो उन्हें 200 अंकों की इस परीक्षा में 127 अंक मिले थे और सीनियर सिविल जज से डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोशन के योग्य पाए गए थे।
कौन हैं जस्टिस वर्मा?
हरीश हसमुखभाई वर्मा मूल रूप से गुजरात के वडोदरा के रहने वाले हैं। उन्होंने कानून (एलएलबी) की पढ़ाई गुजरात के बहुचर्चित महाराजा सयाजीराव कॉलेज से की है। 43 वर्षीय हरीश हसमुखभाई वर्मा एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्यूडिशियल सेवा में आए। जस्टिस वर्मा के पिता भी दिग्गज वकील रहे हैं। न्यायिक गलियारों में जस्टिस वर्मा की गिनती तेज-तर्रार जज के तौर पर होती है।
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