दिल्ली

नई दिल्‍ली स्‍टेशन पर भगदड़: क्‍या है रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157? जो हाईकोर्ट में उठाई गयी, जानें

Section 57 and 157 of Railway Act- पिछले दिनों नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन हुए रेल हादसे का मामला दिल्‍ली हाईकोर्ट पहुंचा है. यहां पर रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157 पर चर्चा हुई. आखिर ये दोनों धाराएं क्‍या है और हादसे से क्‍यों जोड़ा जा रहा है. जानें

नई दिल्‍ली.

नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पिछले सप्‍ताह हुए रेल हादसे का मामला दिल्‍ली हाईकोर्ट पहुंचा है. यहां पर रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157 पर चर्चा हुई और भारतीय रेलवे से इस अधिनियम के पालन के संबंध में रेलवे से जवाब मांगा गया है. आखिर धारा 57 और 157 क्‍या है और भारतीय रेलवे में इसका पालन किस तरह किया जाता है. क्‍या इसके पालन से हादसा बचाया जा सकता था? आइए जानें-

रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157 दोनों ही बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. जहां धारा 57 प्‍लेटफार्म, स्‍टेशनों और स्‍टेशन परिसर पर यात्रियों की संख्‍या, रेलवे के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में बताती है, वहीं धारा 157 रेलवे के अधिकारों को और भी बढ़ाती है, जिससे स्‍टेशनों पर मैनेजमेंट ठीक तरीके से किया जा सके. पहले बात करते हैं धारा 57 की. ट्रेनों के बेहतर ऑपरेशन में दोनों ही धाराएं बनाई गयी हैं.

धारा 57- ट्रेन की क्षमता के अनुसार यात्रियों की संख्‍या हो

 

धारा 57 रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत रेलवे ऑपरेशन और मैनेजमेंट से सबंधित है. इसके तहत यात्रियों की संख्‍या तय होनी चाहिए. यानी प्रत्येक रेल प्रशासन यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करेगा, जितनी कोच की क्षमता हो. यह संख्‍या प्रत्‍येक कोच अंदर या बाहर हिंदी और अंग्रेजी में और जहां से ट्रेन गुजरती हो, वहां की स्‍थानीय भाषा में भी होनी चाहिए. इसके अनुसार ही यात्रियों को स्‍टेशन पर भेजना चाहिए. नई दिल्‍ली स्‍टेशन में अगर ऐसा होता तो हादसा न होता. और न ही 18 लोगों की मौत होती.

देखभाल का अधिकार भी इसी धारा में

संख्‍या के अलावा यह धारा रेलवे को यह अधिकार भी देती है कि वो रेलवे संपत्ति की देखभाल करे, उसमें सुधार और बेहतरी के लिए काम कर सके. ट्रेनों का ऑपरेशन सुरक्षित और बेहतर तरीके से कर सके. जिससे यात्रियों को परेशानी न हो. स्‍टेशन पर आने वाली भीड़ के हिसाब से रेलवे को व्‍यवस्‍था करनी होती है. अगर किसी स्‍टेशन पर लगातार भीड़ बढ़ रही है तो यात्रियों की क्षमता के अनुसार उसका डेवलपमेंट कराना चाहिए. इसी तरह किसी रूट पर अगर ज्‍यादा यात्री निकल रहे हैं तो ट्रेनों की संख्‍या भी बढ़ानी चाहिए. यह धारा ट्रेनों के आपरेशन और मैनेजमेंट से जुड़ी है.

सुरक्षित सफर की जिम्‍मेदारी भी रेलवे की

धारा 57 भारतीय रेलवे को रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा और मेंटीनेंस की जिम्मेदारी देती है. इसमें स्टेशन के अलावा ट्रैक, ट्रेनें शामिल हैं. इसके लिए संवैधानिक अधिकारी भी रेलवे को दिया जाता है. इनके बेहतर मेंटीनेंस से ही यात्रियों को बेहतर और सुरक्षित सफर कराया जा सकता है.

यही मामला हाईकोर्ट में उठाया गया

हाईकोर्ट ने इस पर जवाब मांगा गया कि नई दिल्‍ली स्‍टेशन पर इतनी अधिक भीड़ थी, स्‍टेशन के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के अनुसार उसे संभाल पाना मुश्किल था. इसी के चलते हादसा हो गया. यह बात भी उठाई गयी कि एयरपोर्ट में यात्रियों की संख्‍या चल जाती है कि मौजूदा समय कितने यात्री अंदर हैं, लेकिन भारतीय रेलवे ने ऐसा कोई भी सिस्‍टम डेवलप नहीं किया, जिससे संख्‍या काउंट हो सके. स्‍टेशन पर मौजूद अनरिजर्व यात्रियों का आंकड़ा रेलवे के पास नहीं होता है. कोर्ट में कहा गया कि इस तरह रेलवे अपने ही नियमों का पालन नहीं रहा है.

धारा 157 हादसों में जिम्‍मेदारी करती है तय

धारा 157 रेलवे हादसों से संबंधित है. यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से निर्धारित हों, जिससे हादसा होने के बाद जिम्‍मेदारी तय की जा सके. एक्‍सपर्ट का मानना है कि इसे मामले में पिन प्‍वांइट और पदनाम के साथ जिम्‍मेदारी तय होनी चाहिए. न कि एक विभाग की. इसके बाद इसकी जांच शुरू की जाएगी.

कानूनी कार्रवाई की जा सकती है

इस धारा के अनुसार अगर किसी हादसे के पीछे अगर मानवीय कारण है तो संबंधित व्‍यक्ति की जिम्‍मेदारी तय की जाएगी और उस पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस तरह यह धारा हादसा होने पर रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों के कर्तव्यों और जिम्मेदारी को तय करती है. नई दिल्‍ली स्‍टेशन में हादसे की जिम्‍मेदारी तय की जा सकती है. इसमें यह भी स्‍पष्‍ट है कि हादसे की जानकारी उच्‍च अधिकारियों को तुरंत देनी होगी.

धारा में यात्रियों को मदद देने के निर्देश

हादसा होने पर यात्रियों को तुरंत चिकित्‍सकीय मदद और उनकी सुरक्षा करना इस धारा में सुनिश्चिति किया गया है. यानी हादसे के बाद घायलों को जल्‍द से जल्‍द अस्‍पताल पहुंचाया जाए और घटना स्‍थल पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. नई दिल्‍ली स्‍टेशन में हादसा होने के बाद तुंरत मदद इसी धारा के तहत मदद शुरू की गयी है.

 

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