एक किताब को लेकर एमपी पुलिस पर बिफरे सीजेआई चंद्रचूड़, जानिए पूरा किस्सा

LLM के एक छात्र ने किताब Collective Violence And Criminal Justice System को लेकर केस दर्ज कराया था। इसे डॉ. फरहत खान ने लिखा है जबकि अमर लॉ पब्लिकेशन ने इसे प्रकाशित किया है। आरोप है कि किताब सांप्रदायिक है।
CJI D Y Chandrachud Academic endeavour: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ एकेडमिक में भी सक्रिय रहे हैं।
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित सरकारी लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल की अग्रिम जमानत पर विरोध जताने सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवराज सरकार पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बिफर गए। उनका सवाल था कि क्या लाईब्रेरी में मिली किताब का विवाद इतना जटिल है कि सरकार प्रिंसिपल की जमानत के विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक आ गई।
सीजेआई की बेंच प्रिंसिपल (फिलहाल इस्तीफा दे चुके) डॉ. इनामुर रहमान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। रहमान ने मांग की थी कि उन्हें गिरफ्तारी से बचाया जाए। 16 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रहमान की अरेस्ट पर रोक लगाई गई थी। हालांकि इससे पहले मप्र हाईकोर्ट उन्हें राहत देने से इन्कार कर चुका था। रहमान के खिलाफ सरकार की तरफ से केस दर्ज कराया गया था। पुलिस उन्हें अरेस्ट करना चाहती थी। लेकिन रहमान ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। राहत नहीं मिली तो वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से उनकी अरेस्ट पर रोक लगाई गई। लेकिन शिवराज सरकार ने रहमान की अरेस्ट पर रोक के फैसले के खिलाफ सीजेआई के समक्ष दलीलें पेश कीं तो वो हत्थे से उखड़ गए।
सीजेआई की बेंच को एडवोकेट के जोसेफ ने बताया कि 22 दिसंबर 2022 को मप्र हाईकोर्ट ने रहमान को अग्रिम जमानत दी थी। बेंच मामले पर सुनवाई बंद करने की तैयारी में थी कि तभी सरकार की तरफ से पेश वकील ने रहमान की जमानत पर आपत्ति जताई। सरकार का रवैया बेंच को हैरत में डालने वाला था। सीजेआई ने पूछा कि लाईब्रेरी में मिली एक सांप्रदायिक किताब को लेकर सरकार इतनी उतावली क्यों है। 2014 में ये किताब खरीदी गई थी। सीजेआई का यहां तक कहना था कि सरकार को गंभीर होना चाहिए। ये मसला इतना बड़ा नहीं है। सरकार की तरफ से पेश वकील की दलील थी कि किताब सांप्रदायिक है। प्रिंसिपल इसमें लिखी बातें छात्रों को बता रहे थे।
सरकार को क्यों है किताब से दिक्कत
दरअसल LLM के एक छात्र ने किताब Collective Violence And Criminal Justice System को लेकर केस दर्ज कराया था। इसे डॉ. फरहत खान ने लिखा है जबकि अमर लॉ पब्लिकेशन ने इसे प्रकाशित किया है। आरोप है कि किताब सांप्रदायिक है। इसकी वजह से कॉलेज का माहौल बिगड़ रहा है। आरोपी प्रिंसिपल का कहना था कि जब 2014 में ये किताब खरीदी गई तब वो लेक्चरर थे ना कि प्रिंसिपल।