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कानूनों को परखने के लिए कानून निर्माताओं को ज्यादा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए:सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, अदालतों को संयम दिखाना चाहिए और कराधान संबंधी कानूनों में तबतक दखल नहीं देना चाहिए जबतक यह साबित न हो जाए कि कर कानून पूरी तरह गैर न्यायोचित और स्पष्ट रूप से असांविधानिक है।

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर संबंधी कानूनों को नागरिक अधिकारों को प्रभावित करने वाले कानूनों के सिद्धांत पर नहीं परखा जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में कानूनों को परखने के लिए कानून निर्माताओं को ज्यादा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने हिमाचल हाईकोर्ट के जुलाई, 2007 के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें हिमाचल प्रदेश मोटर टैक्सेशन एक्ट, 1999 को अधिकार से परे बताया गया था।

पीठ ने कहा, अदालतों को संयम दिखाना चाहिए और कराधान संबंधी कानूनों में तबतक दखल नहीं देना चाहिए जबतक यह साबित न हो जाए कि कर कानून पूरी तरह गैर न्यायोचित और स्पष्ट रूप से असांविधानिक है। शीर्ष कोर्ट ने कहा, इस मामले में हाईकोर्ट का मत था कि धारा 3ए(3) के तहत लगाया गया कर जुर्माने की प्रकृति का है और इस तरह का कानून बनाने की शक्ति राज्य विधानसभा के पास नहीं है।

कर कानूनों में आसानी से दखल नहीं
कर कानूनों में दखल की गुंजाइश के संदर्भ में शीर्ष कोर्ट ने कहा, यह अब पूरी तरह स्थापित है कि किसी भी कर कानून में आसानी से दखल नहीं दिया जा सकता। कर कानूनों को अभिव्यक्ति या धर्म की आजादी जैसे नागरिक अधिकारों से जुड़े कानूनी सिद्धांतों पर नहीं परख सकते। कर कानूनों की परख ज्यादा कठोर होती है और इस बारे में कानून निर्माताओं को ज्यादा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

सीजेआई की नियुक्ति को चुनौती
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के आदेश की समीक्षा अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उनके खिलाफ कुछ आरोप भी लगाए गए हैं। पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती। मुख्य न्यायाधीश शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका पर 16 जनवरी को दूसरी पीठ सुनवाई करेगी।

जबरन धर्मांतरण मामले में मौलवी को गिरफ्तारी से सुप्रीम राहत
सुप्रीम कोर्ट ने लालच देकर 100 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी एक मौलवी को शुक्रवार को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी। आरोपी वरवाया अब्दुल वहाब महमूद ने गुजरात हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता को पहले जांच के लिए 16 से 28 जनवरी तक हर दिन जांच अधिकारी के सामने पेश होने दें। पीठ 13 फरवरी का अगली सुनवाई करेगी।

 

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