Bhediya Movie Review: बढ़िया VFX और क्लेवर राइटिंग वाली है वरुण धवन की ‘भेड़िया’

Bhediya Movie Review in Hindi: निर्देशक अमर कौशिक की वरुण धवन (Varun Dhawan) कृति सेनन स्टारर ‘भेड़िया’ (Bhediya) आज रिलीज हो चुकी है. फिल्म के प्रमोशन के दौरान इसके जबरदस्त वीएफएक्स का कहीं ढ़िंढोरा नहीं पीटा गया. लेकिन यकीन मानिए ये इस फिल्म की सबसे बड़ी USP है.
नई दिल्ली:
शानदार कहानी, जानदार कॉन्सेप्ट
इस फिल्म की कहानी मुझे जितनी पसंद आई, उससे कहीं ज्यादा बधाइयां मैं इस फिल्म के कॉन्सेप्ट के लिए देना चाहूंगी. निर्देशक अमर कौशिक ‘स्त्री’ के रूप में राज और डीके की जोड़ी के साथ बड़िया कॉन्सेप्ट और क्लेवर राइटिंग का गजब की पेशकश हमें दे चुके हैं. भेड़िया अमर और लेखक नीरेन भट्ट की वैसी ही कोशिश है, जो एग्जक्यूशन के मामले में शायद उससे भी आगे जाती है. पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे पर आज के यूथ को अवेयर करने के लिए, उनतक अपनी बात इस अंदाज में पहुंचाने के लिए ‘भेड़िया’ से अच्छा तरीका नहीं हो सकता. फर्स्ट हाफ में ये फिल्म आपको बांधे रखेगी और सेकंड हाफ आपको चौंकाने, हिलाने और इमोशनल करने का काम करेगा. हालांकि सेकंड हाफ में कुछ हिस्से आपको खिंचे हुए लगते हैं. फिल्म की लेंथ को थोड़ा कम किया जा सकता था. बिना ज्ञान की घुट्टी के एंटरटेनमेंट की चाश्नी में लपेट कर बनाई गई ये फिल्म एक शानदार कोशिश है और इस कोशिश के लिए अमर कौशिक और लेखक नीरेन भट्ट को फुल में से फुल नंबर. निर्देशक अमर कौशिक की कहानियों की सबसे अच्छी बात है कि जब आप फिल्म देखने जाते हैं तब आपको उम्मीद होती है एक फुल-ऑन एंटरटेनमेंट फिल्म की. लेकिन जब आप सिनेमाघरों से निकलते हैं, तब मनोरंजन के साथ-साथ आपके थैले में कब ‘मैसेज’ का पैकेट रख दिया गया है, आपको पता भी नहीं चलता. इस फिल्म में सोने पर सुहागा करती है इसकी क्लेवर राइटिंग और यही वजह है कि अभिषेक बनर्जी की हर लाइन पर आप हसेंगे भी और उसे सोचेंगे भी.
आपने हिंदी फिल्मों में ‘इच्छाधारी नागिन’ कई बार देखी होगी, टीवी सीरियल्स में तो इच्छाधारी मक्खी और नेवला भी नजर आ चुके हैं. ऐसे में निर्देशक अमर कौशिक वरुण धवन के रूप में बड़ी स्क्रीन पर एक ‘इच्छाधारी भेड़िया’ लेकर आए हैं. अब आप कहेंगे इच्छाधारी भेड़िया, ऐसा थोड़े ही होता है. तो भई इस फिल्म के एक डायलॉग के अंदाज में मैं भी आपसे यही कहूंगी, ‘क्यों इच्छाधारी होने का लाइसेंस सिर्फ नागिन के पास है क्या भई…’ पर क्या अरुणाचल प्रदेश के ‘जीरो’ जंगलों में दिल्ली से पहुंचे इस इच्छाधारी भेड़िए की कहानी आपको सिनेमाघरों में जाकर देखनी चाहिए… चलिए आपको बताती हूं.
कहानी: ‘भेड़िया’ की कहानी शुरू होती है दिल्ली के एक छोटे से कांट्रेक्टर भास्कर (वरुण धवन) से जिसे अरुणाचल प्रदेश के एक इलाके में सड़क बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है. इस कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सड़क जंगल के बीचों-बीच से निकलनी है, पर इस जंगल पर यहां के कई लोग, कई प्रजातियां और कई जानवरों की जिंदगी निर्भर है. वरुण धवन अपने चचेरे भाई जनार्दन यानी जेडी (अभिषेक बनर्जी) को लेकर यहां पहुंचता है. लेकिन यहां पहुंचते ही वरुण धवन को एक भेड़िया काट लेता है और फिर वरुण बन जाता है, इच्छाधारी भेड़िया. अब ये इच्छाधारी भेड़िया क्या करता है, उसके प्रोजेक्ट का क्या होगा, क्या वरुण ठीक होगा या नहीं, ये सब जानने के लिए आपको थिएटरों का रुख करना होगा.
VFX हैं असली यूएसपी
इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान इसके जबरदस्त वीएफएक्स का कहीं ढ़िंढोरा नहीं पीटा गया. लेकिन यकीन मानिए ये इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है. चाहे वरुण का भेड़िया में तबदीन होने का सीन हो या फिर जंगलों में जाने का, इस फिल्म का वीएफएक्स आपको चौंका देगा. यह फिल्म 3डी में है और जंगल के सीन से लेकर कई सारे सीन आपको ऐसे दिखेंगे कि मजा आ जाएगा. इतना ही नहीं, ये फिल्म आपको अपने क्लाइमैक्स में ‘जंगल बुक’ की याद दिला देगी. फिल्म के एक सीन में जब भेड़िया आपकी तरफ आएगा तो बस कुर्सियां पकड़ लीजिएगा.
स्मार्ट राइटिंग 90s का बहुत कुछ याद दिलाएगी
कहानी में कई मुद्दों को बड़ी स्मार्टली जोड़ा गया है. नोर्थ ईस्ट के लोगों को चीन का कहना, या उनकी कमजोर हिंदी के चलते उन्हें कम भारतीय आंकना, दूसरे राज्यों से आए लोगों को बाहरी कहना और उन्हें लगातार याद दिलाना जैसे कई बातें कहानी में बड़ी सहजता से जोड़ दी गई हैं. इसके साथ ही आपको ‘जानी दुश्मन’, राहुल रॉय की ‘जुनून’, ‘मोगली’ सीरियल का वो गाना ‘चड्डी पहन के फूल खिला है…’ और यहां तक कि शहनाज गिल का फेमस डायलॉग ‘तो मैं क्या करूं, मर जायूं?’ जैसे रिफरेंस भी आपको इस कहानी में देखने को मिलेंगे. लेखक नीरेन भट्ट इससे पहले ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ जैसे सीरियल्स और ‘बाला’ जैसी फिल्म लिख चुके हैं और उन्होंने इस फिल्म में भी राइटिंग से कमाल किया है.
वरुण धवन अपने रिपोर्ट कार्ड में A+ जोड़ लें
अभिनय की बात करें तो वरुण धवन ‘अक्टूबर’ और ‘बदलापुर’ जैसी कई फिल्मों से साबित कर चुके हैं कि उनमें काफी कुछ है और ये फिल्म उनके इस काम को और आगे बढ़ाएगी. ‘भेड़िया’ में वुरुण शानदार रहे हैं. ये फिल्म उनके करियर की शानदार फिल्म में से एक रहेगी. वहीं अभिषेक बनर्जी का अंदाज और उनके डायलॉग आपको हंसाने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे. हालांकि कृति सेनन का स्क्रीन टाइम काफी लिमिटेड है, लेकिन वह इस हॉरर-ड्रामा कॉमेडी में फुल ड्रामा क्रिएट करती नजर आई हैं. आपको दादी-नानियों की वो कहानियां याद हैं, जिनमें जंगल होता था भेड़िया होता था, खरगोश होता था और सारी मनोरंजक कहानी सुनने के बाद आखिर में कहानी का संदेश भी होता था. अमर कौशिक की ‘भेड़िया’ दादी-नानी की वही कहानी है. इसमें एंटरटेनमेंट है, जंगल है, इच्छाधारी भेड़िया है और सबसे जरूरी… कहानी का आखिर में एक संदेश भी है. हां, इस बार ये कहानी थिएटर में सुनाई जा रही है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार.