Breaking News

पत्रकारों के लिए देश में काम करना कठिन, कई वर्षों से जेल में बंद हैं अनेक पत्रकार:सीपीजे

नई दिल्ली

Protect Journalism: कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि दुनिया के अनेक देशों में पत्रकारों के लिए काम करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। सरकारें पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए कठोर तरीके अपना रही हैं और उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में जेलों में ठूंसा जा रहा है…

पत्रकारों के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं का मानना है कि देश में पत्रकारों के लिए काम करना लगातार कठिन होता जा रहा है। इसी प्रकार की एक संस्था सीपीजे ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में पत्रकारों के लिए आवाज उठाना लगातार मुश्किल से भरा होता जा रहा है। कई पत्रकारों को वर्षों से जेल में बंद रखा गया है और उन्हें जमानत भी नहीं मिल पा रही है।

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि दुनिया के अनेक देशों में पत्रकारों के लिए काम करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। सरकारें पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए कठोर तरीके अपना रही हैं और उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में जेलों में ठूंसा जा रहा है। इससे जेलों में बंद पत्रकारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2022 इस मामले में अपवाद नहीं है, बल्कि इस वर्ष जेल में बंद होने वाले पत्रकारों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

संगठन ने माना है कि भारत में सिद्दीक कप्पन और गौतम नवलखा सहित अनेक पत्रकारों को बिना किसी ठोस आधार के जेलों में बंद रखा गया है। इनमें से कई पत्रकारों को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रवेंशन एक्ट (यूएपीए) जैसे गंभीर मामलों में बंद किया गया है। इससे देश में पत्रकारों के लिए काम करना कठिन हुआ है।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button