सरकारी पशुशालाओं में निराश्रित पशुओं को नहीं दिया जा रहा भरपेट चारा, ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के खिलाफ केस दर्ज

सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में शामिल गोसेवा योजना में बरती जा रही गंभीर लापरवाही। खामी मिलने पर दो खंड विकास अधिकारी और चार डाक्टरों को नोटिस भी जारी किया गया है।
लखनऊ
चारा नहीं मिलने से बेहाल हैं निराश्रित पशु।
योगी सरकार में गौसेवा और गौशालाओं की देखरेख पर खासा जोर है। साथ ही निराश्रित पशुओं और उनके चारे में लापरवाही करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा रहा है। इसी क्रम में अमेठी में सरकारी पशुशाला में निराश्रित पशुओं को भरपेट भोजन न देने के मामले में ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के खिलाफ केस दर्ज हो गया है।
दो खंड विकास अधिकारी और चार डाक्टरों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। जगह जगह खुली सरकारी पशुशालाओं में आने वाले निराश्रित पशुओं को भरपूर चारा देने के लिए सरकारी बजट आता है, लेकिन आरोप है कि उनको चारा न देकर बजट खा लिया जाता है।
कहने को तो इसकी निगरानी के लिए नीचे से ऊपर तक अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी समीक्षा करते हैं। उनके अलावा कई वरिष्ठ अधिकारियों को समय-समय पर इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके बावजूद पशु बिना चारे के दम तोड़ रहे हैं।
डीएम राकेश मिश्र के निर्देश पर नोडल अधिकारी नरेंद्र कुमार पांडेय के निरीक्षण में चंडेरिया पशुशाला की जांच की गई तो वहां गंभीर लापरवाही सामने आई। वहां 24 गोवंश को चारा देने के लिए मात्र 50 किलो भूसा था। इतने भूसे से 24 पशुओं के पेट नहीं भर सकते है। जिलाधिकारी के आदेश पर डॉक्टर मेहेर सिंह ने पशु क्रूरता के मामले में चंडेरिया के ग्राम प्रधान मोहम्मद तुफैल और सेक्रेटरी दीनदयाल दुबे के खिलाफ संग्रामपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
लापरवाही बरतने वाले भेटुआ और भादर के खंड विकास अधिकारी संजय गुप्ता, साबिर अली, डॉ लाल रत्नाकर, डॉ राम शिरोमणि, डॉ संतोष और डॉ रमेश चंद्र को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। ड्यूटी से अनुपस्थित तीन डाक्टरों का वेतन रोका गया है। सरकार का सख्त आदेश है कि सरकारी पशुशालाओं में निराश्रित पशुओं के लिए चारा, पानी, छांव की भरपूर व्यवस्था हो। इसके लिए पर्याप्त बजट आवंटन होता है।
इसके बावजूद पशु खुले आसमान के नीचे धूप में खड़े रहने को विवश हैं। देखरेख के लिए चौकीदार की भी तैनाती है। व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी, बीडीओ, सीडीओ, एसडीएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पशुओं के इलाज के लिए डाक्टर भी हैं, लेकिन हर स्तर पर खामियां साफ नजर आती हैं।