गुजरात

गुजरात चुनाव : नरोदा पाटिया दंगों के दोषी की बेटी को भी मिला बीजेपी का टिकट

30 वर्षीय पायल के पिता मनोज नरोदा पाटिया दंगों के 16 दोषियों में से एक है, जिसमें 97 मुस्लिम मारे गए थे। इस बार भाजपा द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से एक हैं।

अहमदाबाद | पीटीआई

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अहमदाबाद की नरोदा सीट से इस बार 2002 के गोधरा बाद नरोदा पाटिया नरसंहार मामले के दोषी की बेटी पायल कुकरानी को चुनावी मैदान में उतारा है।

0 वर्षीय पायल कुकरानी के पिता मनोज कुकरानी नरोदा पाटिया दंगों के 16 दोषियों में से एक है, जिसमें 97 मुस्लिम मारे गए थे। इस बार सत्तारूढ़ दल द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से पायल एक हैं। वह एक एनेस्थेटिस्ट हैं।

गुजरात हाईकोर्ट ने 2018 में नरोदा पाटिया दंगा मामले में मनोज कुकरानी और 15 अन्य की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। आजीवन कारावास की सजा पाए कुकरानी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

भाजपा की ओर से टिकट मिलने के बाद पायल कुकरानी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और सदस्यों की आभारी हूं। मेरी मां एक पार्षद हैं और मेरे माता-पिता लंबे समय से भाजपा से जुड़े हुए हैं। मैंने पूर्व में चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया था।

उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव जीतती हैं तो उनकी प्राथमिकता क्षेत्र का विकास करना और स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान करना होगा।

वहीं, स्थानीय भाजपा नगरसेवक उनकी मां रेशमा कुकरानी ने कहा कि वह अपनी बेटी को पूरा समर्थन प्रदान करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि वह चुनाव जीत जाए।

कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने जताई नाखुशी

कुकरानी परिवार सिंधी समुदाय से ताल्लुक रखता है जो इस क्षेत्र पर हावी है। भाजपा ने मौजूदा विधायक बलराम थवानी को एक और मौका देने के बजाय इस बार पायल कुकरानी को मैदान में उतारा है। इलाके के कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनकी उम्मीदवारी पर नाखुशी जताई है क्योंकि उनका मानना ​​है कि उनकी शादी एक गैर-सिंधी से हुई है और इसलिए वह अब समुदाय की सदस्य नहीं हैं।

भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी भी नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषियों में से एक थीं, लेकिन 2018 में हाईकोर्ट द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया था। कोडनानी नरोदा सीट से तीन बार विधायक चुनी गई थीं। उन्हें 2009 में गिरफ्तार किया गया था। वह नरोडा गाम दंगों के मामले में भी एक आरोपी है, जो गोधरा में ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद हुए नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों में से एक है। इन मामलों की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी।

नरोदा विधानसभा सीट पर 1990 से भाजपा का कब्जा है। कोडनानी 1998 में विधायक बनीं और 2002 और 2007 में भी सीट बरकरार रखी।

नरोदा पाटिया दंगों के मामले में कुल 61 अभियुक्तों में से विशेष एसआईटी कोर्ट ने अगस्त 2012 में 32 लोगों को दोषी ठहराया था और 29 अन्य को बरी कर दिया था। अप्रैल 2018 में मामले में अपील पर अपने आदेश में हाईकोर्ट ने 16 लोगों को दोषी ठहराया था।

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में एक भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें से अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय से थे।

27 फरवरी 2002 को गोधरा ट्रेन आगजनी की घटना में, 59 ‘कारसेवक’ मारे गए थे, जिसके बाद गुजरात के इतिहास में सबसे खराब सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के थे।

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