धर्म

दिवाली और धनतेरस पर कुबेर को ऐसे करें प्रसन्न, धन-दौलत में होगी वृद्धि

इस साल 22 अक्टूबर को धनतेरस से दिवाली का त्योहार शुरू हो रहा है. धनतेरस हो या फिर दिवाली, इन दोनों ही दिनों में धन के ​अधिपति कुबेर की पूजा करने का विधान है.

धनतेरस और दिवाली पर धन के ​अधिपति कुबेर की पूजा करने का विधान है.

 

इस साल 22 अक्टूबर को धनतेरस से दिवाली का त्योहार शुरू हो रहा है. दिवाली 24 अक्टूबर को है. धनतेरस हो या फिर दिवाली, इन दोनों ही दिनों में धन के ​अधिपति कुबेर की पूजा करने का विधान है. कुबेर की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और वह स्थिर धन होता है. उस धन में कमी नहीं आती है. वह स्थाई धन होता है. शिव के परम भक्त कुबेर को महादेव ने सृष्टि के संपूर्ण धन-संपत्ति का अधिकारी बनाया, जिसके कारण वे अकूत धन के स्वामी हैं. हालांकि वे रावण के सौतेले भाई हैं. कुबरे के पिता का नाम महर्षि विश्रवा और माता इड़विड़ा हैं. कुबेर को धन का रक्षक माना जाता है.

कुबेर को प्रसन्न करने का उपाय
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं ​​कि धनतेरस और दिवाली पर कुबेर या कुबेर यंत्र की अवश्य पूजा करनी चाहिए. यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तोे उनके मंत्रों का जाप करें. यदि मंत्र जाप नहीं कर पा रहे हैं तो सबसे आसान उपाय है कि आप कुबेर चालीसा का पाठ करें और कुबेर जी की आरती विधि विधान से करें. चालीसा और आरती में कुबेर के गुणों का गान है, जिसे सुनकर वे प्रसन्न होंगे और धन-संपत्ति की चाह की मनोकामना को पूर्ण करेंगे.

कुबेर मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

कुबेर जी की आरती
ओम जय यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जयकार करैं॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

बल, बुद्धि, विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े।
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

मुकुट मणी की शोभा, मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे…

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