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खेड़ा जिले के उंधेला गांव में मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर पिटाई मामले में हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन, 4 पुलिसकर्मियों को मिली जेल की सजा, लेकिन…

 

 – 4 अक्टूबर, 2022 को खेड़ा जिले के उंधेला गांव में नवरात्रि उत्सव के एक दिन पहले गरबा कार्यक्रम में पथराव करने के आरोप में मुस्लिम पुरुषों को हिरासत में लिया गया था. इस घटना में कम से कम 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने सार्वजनिक रूप से 3 मुस्लिम पुरुषों को खंभे से बांधकर पीछे डंडे मारे थे. इस मामले के आरोपियों में गुजरात पुलिस के एवी परमार (इंस्पेक्टर), डीबी कुमावत (सब-इंस्पेक्टर), केएल डाभी (हेड कांस्टेबल), और राजू डाभी (कांस्टेबल) शामिल हैं. सभी ने अदालत से आग्रह किया कि वे पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए तैयार हैं. कोर्ट इस पर विचार करे.

 

-गरबा कार्यक्रम में पथराव करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से तीन मुस्लिम पुरुषों को खंभे से बांधकर पीछे ड़ंडे मारे थे.

 

 

  • आज गुजरात के 4  पुलिसकर्मियों को जेल की सजा सुनाई है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी पुलिसवालों को कोर्ट ने 14 दिन के कारावास की सजा सुनाई है और सभी पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया है. हालांकि, इस मामले में आरोपियों के वकील ने आदेश के खिलाफ अपील दायर कर आदेश पर तीन महीने तक के लिए रोक लगवा दी है.

 

अहमदाबाद.

गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले साल खेड़ा में 3 मुस्लिम पुरुषों की पिटाई के आरोप में आज गुजरात के 4  पुलिसकर्मियों को जेल की सजा सुनाई है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी पुलिसवालों को कोर्ट ने 14 दिन के कारावास की सजा सुनाई है और सभी पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया है. हालांकि, इस मामले में आरोपियों के वकील ने आदेश के खिलाफ अपील दायर कर आदेश पर तीन महीने तक के लिए रोक लगवा दी है.

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी की पीठ ने कहा कि कोर्ट इस बात से खुश नहीं है कि जब वह ऐसे आदेश पारित कर रहा है जिसमें पुलिसकर्मियों को साधारण कारावास से गुजरने के लिए कहा जा रहा है. इस मामले में कोर्ट ने प्रत्येक पुलिसकर्मी पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया है, अगर वे नहीं दे सकेंगे तो उन्हें 3 दिन और कारावास में रहना होगा. बता दें कि पिछली सुनवाई में आरोपी पुलिसवालों ने कोर्ट में सजा न देने की मांग की थी बल्कि पीड़ितों के लिए मुआवजा देने को कहा था, लेकिन पीड़ितों ने इसे ठुकरा दिया था.

पिछली सुनवाई में जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस गीता गोपी की बेंच के सामने पुलिसकर्मियों के वकील प्रकाश जानी ने यह दलील दी थी कि इन सभी ने 10-15 साल तक सेवा की है और अब अगर उन्हें दोषी करार देते हुए सजा दी जाती है तो उनके काम के रिकॉर्ड पर बुरा असर पड़ेगा. वकील प्रकाश जानी की दलील पर विचार करते हुए कोर्ट ने सुनवाई को स्थगित कर दिया था और इस मामले पर शिकायतकर्ता मुस्लिम पुरुषों से जवाब मांगा था.

बता दें कि 4 अक्टूबर, 2022 को खेड़ा जिले के उंधेला गांव में नवरात्रि उत्सव के एक दिन पहले गरबा कार्यक्रम में पथराव करने के आरोप में मुस्लिम पुरुषों को हिरासत में लिया गया था. इस घटना में कम से कम 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने सार्वजनिक रूप से 3 मुस्लिम पुरुषों को खंभे से बांधकर पीछे डंडे मारे थे. इस मामले के आरोपियों में गुजरात पुलिस के एवी परमार (इंस्पेक्टर), डीबी कुमावत (सब-इंस्पेक्टर), केएल डाभी (हेड कांस्टेबल), और राजू डाभी (कांस्टेबल) शामिल हैं. सभी ने अदालत से आग्रह किया कि वे पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए तैयार हैं. कोर्ट इस पर विचार करे.

 

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