महाराष्ट्र

धनुष-बाण पहला नहीं, कभी रेल इंजन, कभी ढाल-तलवार; शिवसेना का पुराना है चिह्न का इतिहास

Shivsena Symbol Update: जून 1966 में दिवंगत बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी। तब से अब तक पार्टी के चुनावी सफर में कई चिह्न नजर आए। इनमें रेल इंजन, पेड़ और ढाल-तलवार शामिल है।

मुंबई

महाराष्ट्र में शुरू हुई शिवसेना पर अधिकार की जंग अहम पड़ाव पर है। भारत निर्वाचन आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ को फ्रीज कर दिया है। ऐसे में अब उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास विकल्प नया नाम और चिह्न चुननके बचा है। हालांकि, 5 दशक से ज्यादा पुरानी शिवसेना का चुनावी इतिहास देखें, तो पार्टी कई बार अलग-अलग चिह्नों पर चुनावी मैदान में उतर चुकी है।

पहले मौजूदा चिह्न और नाम का इतिहास
जून 1966 में दिवंगत बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी। तब से अब तक पार्टी के चुनावी सफर में कई चिह्न नजर आए। इनमें रेल इंजन, पेड़ और ढाल-तलवार शामिल है। साल 1989 में 4 सांसदों के लोकसभा पहुंचने के बाद पार्टी को मौजूदा ‘धनुष-बाण’ का चिह्न मिला था। जबकि, पार्टी को नाम बाल ठाकरे के पिता केशव सीताराम ठाकरे ‘प्रबोधंकर’ ने दिया था।

अब अलग-अलग चिह्नों पर चर्चा
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1966 से अस्तित्व में आई शिवसेना ने जब 1968 में मुंबई नगर निगम का चुनाव लड़ा, तो पार्टी का चिह्न ढाल और तलवार था। वहीं, 1980 के समय में पार्टी का रेल इंजन चिह्न चर्चा में रहा। साल 1978 का चुनाव पार्टी ने रेल इंजन के निशान पर ही लड़ा था। खबर है कि साल 1985 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार टॉर्च, बैट-बॉल जैसे चिह्न लेकर मैदान में उतरे थे।

फिर चुनना होगा नया चिह्न
खास बात है कि चुनाव आयोग की तरफ से यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है, जब पार्टियां अंधेरी पूर्व में उपचुनाव के लिए तैयारियां कर रही हैं। ऐसे में आयोग की तरफ से पार्टी के नाम और चिह्न को फ्रीज करने से नई चुनौती खड़ी होती दिख रही है। फिलहाल, पार्टी को दूसरे चिह्न आवंटित किए जाएंगे। दोनों गुट आयोग की तरफ से दिए गए चिह्नों में से पसंदीदा चुन सकते हैं।

शिवसेना में कहां से शुरू हुआ तनाव
जिस शिवसेना की शुरुआत 56 साल पहले यानी 1966 में जून के महीने में हुई थी। उसी शिवसेना को जून 2022 में फूट का सामना भी करना पड़ा। पार्टी के दिग्गज एकनाथ शिंदे के समर्थन में करीब 50 विधायकों ने उद्धव को अलविदा कह दिया था। इसके बाद राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई थी। बाद में शिंदे कैंप ने भारतीय जनता के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसमें शिंदे सीएम बने।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button