इंडोनेशिया फ़ुटबॉल स्टेडियम हादसाः 125 लोगों की मौत, आंसू गैस पर फ़ीफ़ा और एमनेस्टी का बयान, प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया?

इंडोनेशिया में एक फ़ुटबॉल मैच के दौरान भड़की हिंसा और भगदड़ में अब तक 125 लोग मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं. इसे दुनिया में हुए अब तक के सबसे बड़े स्टेडियम हादसों में से एक बताया जा रहा है.
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने पहले मरने वालों की संख्या 174 बताई थी लेकिन बाद में यह जानकारी दी गई कि 125 लोगों की मौत हुई है.
फ़ुटबॉल मैच के बाद यह हिंसा तब भड़की जब मुक़ाबला हारने वाली टीम के प्रशंसक भड़क उठे और मैदान पर आ गए. मैदान से उन्हें हटाने के लिए पुलिस कर्मियों ने ताबड़तोड़ आंसू गैस के गोले दागे.
अनियंत्रित भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई और फिर स्टेडियम में भगदड़ मच गई.
ईस्ट जावा प्रांत में अरेमा एफ़सी और पर्सेबाया सुरबाया के बीच मैच चल रहा था. अरेमा एफ़सी को 2-3 से हारता देख उसके प्रशंसक मैदान में घुसने लगे.

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक, इंडोनेशिया के ईस्ट जावा प्रांत के पुलिस प्रमुख निको अफ़िन्टा ने बताया कि अपनी टीम को मैच हारता देख कुछ लोग फ़ुटबॉल पिच की ओर भागे और उन्हें रोकने के प्रयास के दौरान हालात बेकाबू हुए.
उन्होंने कहा, “स्टेडियम में मारपीट और अफरा-तफरी थी. 34 लोगों की मौत स्टेडियम में हुई है जबकि बाकी लोगों की मौत अस्पताल में हुई. मरने वालों में दो पुलिसकर्मी भी हैं.”
सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम के कई वीडियो शेयर किए जा चुके हैं.

इमेज स्रोत,BBC INDONESIAN
प्रत्यक्षदर्शी ने क्या देखा?

दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.
बात सरहद पार
समाप्त
इस मैच को देख रहे 21 साल के मुहम्मद दिपो मौलाना ने बीबीसी इंडोनेशिया को बताया कि मैच के बाद अरेमा के कुछ फैन्स घरेलू टीम के खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ अपना विरोध जताते हुए मैदान में उतर गए जिन्हें पुलिस ने तुरंत रोका और उनकी ‘पिटाई’ की.
“इसके बाद कुछ और दर्शक विरोध में मैदान पर उतर गए और फिर पूरे स्टेडियम में तनाव का माहौल पैदा हो गया. फिर पुलिस के जवानों की संख्या वहां बढ़ी. वे शील्ड और कुत्तों के साथ वहां आए.”
दिपो बताते हैं कि उन्होंने स्टेडियम में दर्शकों पर छोड़े जा रहे कम से कम 20 आंसू गैस के गोले की आवाज़ें सुनीं.
वे कहते हैं, “ये बहुत सारे गोले थे जो बार बार दागे जा रहे थे. उनकी आवाज़ लगातार और तेज़ी से आ रही थी. आवाज़ वाकई बहुत तेज़ थी और उन सब गोलों को स्टेडियम में दर्शकों पर चलाया जा रहा था.”
प्रत्यक्षदर्शी दिपो ने बताया, “स्टेडियम से बाहर निकलने की कोशिश में लोग अस्त-व्यस्त और घबराए हुए थे, उनका दम घुट रहा था. वहां कई ऐसे बच्चे और बूढ़े लोग मौजूद थे जिन पर आंसू गैस का असर साफ़ देखा जा सकता था.”

इमेज स्रोत,AFP VIA GETTY IMAGES
एमनेस्टी और फ़ीफ़ा ने क्या कहा?
एमनेस्टी इंटरनैशनल इंडोनेशिया के कार्यकारी निदेशक उस्मान हामिद ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए इस मामले के बाद पुलिस से भी आग्रह किया.
उन्होंने कहा, “हम पुलिस से आंसू गैस और अन्य कम घातक हथियारों के उपयोग पर अपनी नीतियों की समीक्षा की अपील करते हैं, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की दिल दहला देने वाली घटना फिर कभी न हो.”
फ़ुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्था फ़ीफ़ा ने कहा है कि किसी मैच में अनियंत्रित भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को गैस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
फ़ीफ़ा के अध्यक्ष गियानी इन्फैंटिनो ने कहा, “यह फ़ुटबॉल से जुड़े सभी के लिए काला दिन है और यह हादसा समझ से परे है. मैं इस दुखद हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों और दोस्तों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं.”