Breaking News

‘न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने की अनुमति हो’:जस्टिस कोहली

कोलकाता

जस्टिस कोहली ने कहा, न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने के साथ ही केवल संविधान और कानूनों के आधार पर निर्णय लेने की अनुमति भी दी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली ने न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने की अनुमति देने की वकालत की है। शनिवार को कोलकाता में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सिर्फ कानूनी सिद्धांत भर नहीं है, बल्कि जीवंत लोकतंत्र का मूलभूत स्तंभ है। वह कोलकाता में फिक्की की ओर से ‘स्वतंत्र न्यायपालिका : एक जीवंत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण’विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रही थीं।

जस्टिस कोहली ने कहा, न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने के साथ ही केवल संविधान और कानूनों के आधार पर निर्णय लेने की अनुमति भी दी जानी चाहिए।

यही वह व्याख्या है जो संविधान के लिए एक जीवित दस्तावेज बने रहने की गारंटी देती है जो अपने मूलभूत मूल्यों और सिद्धांतों में निहित रहते हुए समय के साथ विकसित होता रहता है।

उन्होंने कहा, यह आवश्यक है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को ताकत देने के लिए तीनों स्तंभ (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) समानांतर अवस्था में काम करें, एक साथ और हाथ में हाथ मिलाकर नहीं। यह स्वयं न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संरक्षित और इसकी स्वायत्तता और निष्पक्षता की रक्षा करेगा। सांविधानिक संवाद में न्यायपालिका की भूमिका को मान्यता देना भी उतना ही आवश्यक है क्योंकि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए यह सुरक्षा वाल्व की तरह करती है।

इस दौरान उन्होंने न्यायिक स्वतंत्रता से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और कहा कि न्यायपालिका, कानून के शासन को बनाए रखकर और यह सुनिश्चित करके लोकतांत्रिक संस्थानों की स्थिरता और प्रभावकारिता को बढ़ावा देता है कि सरकार अपने दायरे में काम करे।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button