बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महुआ मोइत्रा

महुआ मोइत्रा पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, कहा- गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की होलसेल में रिहाई कैसे कर दी!
Bilkis Bano Case in Supreme Court: इस जनहित याचिका में साफतौर कहा गया है कि इन दोषियों को छोड़ा नहीं जा सकता है। ये एक सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा हुआ मामला है।
नई दिल्ली
Bilkis Bano Case: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। उन्होंने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को रिहा किए जाने के अपरिपक्व फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। एडवोकेट शादान फरासत की दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि पीड़िता को अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं हैं।
उन्होंने कहा, “दोषियों की रिहाई पूरी तरह से सामाजिक या मानवीय न्याय को मजबूत करने में असफल रहा और धारा 432-435 सीआरपीसी के तहत राज्य की निर्देशित विवेकाधीन शक्ति का उचित उपयोग नहीं है।” इस जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि मामले की जांच सीबीआई ने की थी इस वजह से गुजरात सरकार को केंद्र सरकार की सहमति के बिना धारा 432 सीआरपीसी के तहत समय से पहले रिहाई देने का कोई अधिकार नहीं है।
जानिए क्या है इस जनहित याचिका में?
इस याचिका में ये भी कहा गया है कि सभी 11 दोषियों को एक ही दिन समय से पहले रिहाई पर स्पष्ट रूप से इस बात का संकेत मिलता है कि राज्य सरकार ने योग्यता के आधार पर प्रत्येक व्यक्तिगत मामले पर बिना विचार किए ही सबकी एकसाथ ‘होलसेल’ में रिहाई कर दी गई। इस मामले में महुआ मोइत्रा के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली, रेवती लाल, रूप रेखा वर्मा की ओर से कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। मंगलवार को वकील अपर्णा भट्ट ने बताया की सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के फैसले पर विचार करने की बात कही है।
कपिल सिब्बल दे रहे हैं गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती
वहीं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल भी गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ सजा में मिली छूट को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि एक गर्भवती महिला से रेप हुआ और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई। सिब्बल की इस दलील पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने कहा अदालत इस मामले को देखेगी।
PIL में कहा गया, दोषियों को रिहा नहीं किया जा सकता
इस जनहित याचिका में साफतौर कहा गया है कि इन दोषियों को छोड़ा नहीं जा सकता है। ये एक सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा हुआ मामला है। साल 2002 में गुजरात के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में गर्भवती बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी जिसके लिए दोषी ठहराए गए सभी 11 लोगों को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत रिहा कर दिया। गुजरात की बीजेपी सरकार के इस फैसले की पूरे देश में आलोचना हुई है।