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मनोबल तोड़ भारत ‘विश्वगुरु’ कैसे बनेगा?, BJP सांसद वरुण गांधी

मनोबल तोड़ भारत ‘विश्वगुरु’ कैसे बनेगा?, BJP सांसद ने फिर साधा केंद्र सरकार पर निशाना…..

वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि आज हर सशक्त राष्ट्र की बुनियाद प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हैं. शिक्षा एवं शोध बजट को वरीयता न देने की वजह से पहले ही देश का बेस्ट टैलेंट् हमसे दूर जा चुका है और अब हम उनकी वापसी पर ‘उम्र की सीमा’ तय कर रहे हैं. जिन्हें प्रोत्साहन चाहिए उनका मनोबल तोड़ भारत ‘विश्वगुरु’ कैसे बनेगा?

नई दिल्ली: 

बीजेपी नेता वरुण गांधी अक्सर अपनी सरकार के फैसले से सहमत नहीं दिखाई देते हैं. इसलिए वो आए दिन अपनी नाराज़गी भी जाहिर करने से नहीं कतराते. इन दिनों वरुण गांधी ने डीएसटी इंस्पायर फैकल्टी योजना में आवेदकों की उम्र सीमा को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि आज हर सशक्त राष्ट्र की बुनियाद प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हैं. शिक्षा एवं शोध बजट को वरीयता न देने की वजह से पहले ही देश का बेस्ट टैलेंट् हमसे दूर जा चुका है और अब हम उनकी वापसी पर ‘उम्र की सीमा’ तय कर रहे हैं. जिन्हें प्रोत्साहन चाहिए उनका मनोबल तोड़ भारत ‘विश्वगुरु’ कैसे बनेगा?

ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन (AIRSA) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (INSPIRE) फैकल्टी पदों के साथ-साथ स्थायी वैज्ञानिकों के लिए आयु सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है. डीएसटी सचिव श्रीवरी चंद्रशेखर को संबोधित एक पत्र में, AIRSA ने लिखा, “32 की एक सीमित आयु सीमा उन अधिकांश आवेदकों के लिए अनुचित लगती है, जो पर्याप्त पोस्टडॉक अनुभव प्राप्त कर रहे हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान देना चाहते हैं.”

इस पत्र में लिखा, “हम आपसे अनुरोध करते हैं कि 32 वर्ष की सीमित आयु सीमा के बजाय आयु सीमा को 40 वर्ष तक बढ़ाकर सभी शोधकर्ताओं के लिए रास्ते खोलें,” एसोसिएशन ने आगे बताते हुए कहा, “भारतीय पीएचडी विद्वानों के पास नवीन शोध करने के लिए एक शानदार दिमाग है, लेकिन  उच्च स्तर के पोस्टडॉक्टरल अनुसंधान कौशल हासिल करने के लिए उनमें से ज्यादातर विदेश चले जाते हैं.” “अधिकांश पोस्टडॉक अपने पीएचडी कार्यक्रमों के अंत तक अपने 30 के दशक में हैं और 3 से 5 साल के अपेक्षित पोस्टडॉक प्रशिक्षण के बाद, वे 35 से अधिक आयु तक पहुंचते हैं.”

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