इतिहासकार एस इरफान हबीब ने कहा कि धर्म और राष्ट्रवाद को जोड़ना समझदारी नहीं है। अगर आप इतिहास देखें तो कई समुदायों ने एक या दो बार अपना धर्म बदला, लेकिन राष्ट्रीयता नहीं बदली। हमारे देश में पिछले 50 सालों में धर्म के नाम पर विभाजन हुआ है, और इस्लाम के आधार पर बना पाकिस्तान भी 25 साल तक एकजुट नहीं रह सका।
नई दिल्ली
इतिहासकार और लेखक एस इरफान हबीब ने कहा कि धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़ना सही नहीं है। ऐसा करने से समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के उदाहरण से पता चलता है।
इतिहासकार हबीब ने शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘धर्म और भारतीय राष्ट्रीयता’ विषय पर एक सत्र को संबोधित किया। इस सत्र में लेखक रतन शारदा भी उनके साथ थे।
हबीब ने कहा, ‘धर्म और राष्ट्रवाद को जोड़ना समझदारी नहीं है। अगर आप इतिहास देखें तो कई समुदायों ने एक या दो बार अपना धर्म बदला, लेकिन राष्ट्रीयता नहीं बदली। हमारे देश में पिछले 50 सालों में धर्म के नाम पर विभाजन हुआ है, और इस्लाम के आधार पर बना पाकिस्तान भी 25 साल तक एकजुट नहीं रह सका।’
हबीब ने पाकिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण दिया
उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण दिया, जहां लोग एक ही धर्म के थे, लेकिन भाषा और संस्कृति के आधार पर देश अलग हो गए। हबीब ने कहा, ‘मैं लाहौर जाता था, और वहां लोग बताते थे कि कैसे पाकिस्तानियों ने संसद में मुजीबुर रहमान का मजाक उड़ाया। यह दिखाता है कि धर्म के आधार पर एकजुट होने के बावजूद एक राष्ट्र एक साथ नहीं रह सकता।’ 71 वर्षीय हबीब ने कहा कि एक राष्ट्र में कई धर्म हो सकते हैं, और यदि आप धर्म के आधार पर एक राष्ट्र बनाएं, आपको बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
शारदा का तर्क- धर्म और ‘धर्म’ के बीच फर्क जरूरी
इस बीच, रतन शारदा ने तर्क दिया कि धर्म और ‘धर्म’ के बीच फर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब तक हम धर्म और मज़हब में अंतर नहीं समझेंगे, तब तक भ्रमित चर्चा होती रहेगी। इस्लाम, ईसाई धर्म और वैष्णव धर्म अलग हो सकते हैं, लेकिन सभी मानवता के धर्म को साझा करते हैं। भारत में अलग-अलग संप्रदाय और समुदाय हैं, लेकिन सभी का धर्म एक ही है।’
24 नवंबर को समाप्त होगा आयोजन
इस दो दिवसीय आयोजन में कई लेखक, गायक और कलाकार जैसे नीलेश मिश्रा, प्रसून जोशी, शिल्पा राव, शैलजा पाठक, बादशाह और विशाल भारद्वाज ने भाग लिया और कई विषयों पर चर्चा की। यह आयोजन 24 नवंबर को समाप्त होगा।
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