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अमेरिका में गर्भपात पर रोक लगाने के फ़ैसले पर क्या बोलीं तस्लीमा नसरीन

गर्भपात का अधिकार न देना मानवता के ख़िलाफ़ अपराध: तस्लीमा नसरीन

बांग्लादेशी मूल की जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने गर्भपात को मंज़ूरी देने वाले 50 साल पुराने फ़ैसले को पलटने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की कड़ी आलोचना की है.

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर पर उन्होंने इस बारे में एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. जबरन गर्भधारण को उन्होंने मानवता के ख़िलाफ़ अपराध क़रार दिया है.

तस्लीमा नसरीन ने लिखा, “यकीन नहीं हो रहा! अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को ख़त्म कर दिया. आदेश के तहत महिलाओं के गर्भपात के अधिकार समाप्त कर दिए गए. अमेरिका आगे बढ़ने के बजाय पीछे की ओर जा रहा है.”

उन्होंने कहा, “यहां तक कि सनकी मुस्लिम देश बांग्लादेश में भी गर्भपात क़ानूनी है. लेकिन यूएसए जैसे सभ्य देश ने महिलाओं को उनके बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित कर दिया है!”

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‘मानव अधिकारों की रक्षा के लिए गर्भपात बेहद ज़रूरी’

उन्होंने मानव अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ में महिला अधिकारों की डायरेक्टर मकारेना साज़ के बयान का ज़िक्र करते हुए लिखा, “गर्भपात की गारंटी देना न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानव अधिकारों के लिए भी ज़रूरी है.”

तस्लीमा नसरीन ने ह्यूमन राइट्स वॉच के एक और बयान का ज़िक्र करते हुए लिखा, ”गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने या सख़्ती करने से गर्भपात की ज़रूरत ख़त्म नहीं हो जाती. गर्भपात को कम करने की बजाय, उसे प्रतिबंधित कर देने से असुरक्षित प्रक्रियाओं का ख़तरा बढ़ जाता है और आपराधिक क़ानून लागू हो जाने का ख़तरा पैदा हो जाता है.”

इससे पहले शुक्रवार को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया था.

इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक़ क़ानूनी रहेगा या नहीं, इसे लेकर राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.

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