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सांसदों की पत्र याचिकाओं पर क्यों विचार कर रहा है एनजीटी… सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरत

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से एनजीटी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हैरत जताई कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) सांसदों की ओर से दायर पत्र याचिकाओं पर क्यों विचार कर रहा है।

न्यायाधीश बीआर गवई और हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हम समझते थे कि एनजीटी का अधिकार क्षेत्र उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो अदालतों का रुख नहीं कर सकते।

पीठ ने कहा, ‘यह क्या है, एनजीटी सांसदों के पत्रों पर भी विचार कर रहा है। हमें लगता था कि इसका अधिकार क्षेत्र उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो अदालतों का रुख नहीं कर सकते।’ अदालत ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से एनजीटी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की। यह याचिका विशाखापत्तनम में रुशिकोंडा हिल्स पर निर्माण कार्य रोकने के एनजीटी के आदेश के खिलाफ है।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह पर्यटन को लेकर सार्वजनिक हित का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इसमें 300 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है और 180 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। इस पर पीठ ने पूछा कि क्या आपके पास उस आदेश की प्रति है जो कहता है कि एनजीटी संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत हाईकोर्ट का अधीनस्थ न्यायाधिकरण है?

सिंघवी ने यह जानकारी जुटाने के लिए कुछ समय मांगा और पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।

एनजीटी ने यह आदेश एमपीए रघु रामकृष्णन राजू की ओर से दाखिल याचिका पर जारी किया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि परियोजना में सीआरजेड नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

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