धर्म

महिलाओं के अंगों के बारे में क्या कहती है ‘अंग विद्या’?

ज्योतिष शास्त्र की अनेक शाखाएं प्रचलित हैं जिनमें से अंग विद्या या शारीरिक लक्षण शास्त्र भी काफी प्रसिद्ध है। इसमें मानव शरीर के अंगों की बनावट के अनुसार मनुष्य के शुभ-अशुभ लक्षणों का वर्णन किया जाता है। इस शास्त्र में स्त्री-पुरुषों के अंगों के संबंध में विस्तार से बताया गया है।

पैरों के तलवे : स्ति्रयों के पैरों के तलवे लालिमयुक्त, चिकने, कोमल, मांसल, समतल, उष्ण होने और पसीने से रहित होने पर पर श्रेष्ठ होते हैं। सूप के आकार के, रूखे और बेडौल तलवे दुर्भाग्यसूचक होते हैं। तलवों में स्वस्तिक, चक्र एवं शंख जैसे शुभ चिह्न राजयोगकारक होते हैं। तलवों में सर्प के समान रेखाएं दारिद्रय सूचक होती हैं।

पैरों के अंगूठे : स्ति्रयों के पैरों के अंगूठे यदि ऊंचे, मांसल और गोल हों तो शुभप्रद होते हैं। छोटे, टेढ़े और चपटे अंगूठे सौभाग्यनाशक होते हैं।

पैरों की अंगुलियां : स्ति्रयों के पैरों की अंगुलियां कोमल, घनी आपस में सटी हुई, गोल और ऊंची हों तो उत्तम होती हैं। अत्यंत लंबी अंगुलियों वाली स्त्री भाग्य की कमजोर होती है। कृश अंगुलियों वाली स्त्री निर्धन तथा छोटी अंगुलियोंवाली स्त्री अल्पायु होती हैं।
पैरों के नख : स्ति्रयों के पैरों के नाखून गोलाकार, उन्नत, चिकने और तांबे के समय रक्त वर्ण के शुभ कहे गए हैं।

भुजाएं : जिनमें हड्डियों का जोड़ न दिखाई दे, ऐसी कोमल तथा नाड़ियों और रोम से रहित स्ति्रयों की सीधी भुजाएं श्रेष्ठ कही गई हैं। मोटे, रोमों से युक्त भुजावाली स्त्री सुख नहीं पाती। छोटी भुजाओं वाली स्त्री दुर्भगा होती हैं।
हाथ की अंगुलियां : सुंदर पर्व वाली, बड़े पौरों से युक्त, गोल, हथेली से नख की तरफ क्रमश: पतली अंगुलियां शुभ होती हैं। अत्यंत छोटी, पतली, टेढ़ी, छिद्रयुक्त, अत्यंत मोटी एवं पृष्ठ भाग में रोगों से युक्त अंगुलियां कष्टकारी कही गई हैं।
मुख : जिस स्त्री का मुख गोल, सुंदर, समान, मांसल, स्निग्ध, सुगंधयुक्त और पिता के मुख के समान होता है वह स्त्री प्रशस्त लक्षणों वाली कही गई है।

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