दिल्ली

मान पर नरम, योगी पर गर्म? जानें- क्या हुआ जब जजों के कार्यक्रम में ममता का यूपी CM से सामना

नई दिल्ली

विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि सरकार न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है।

सीएम और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीशों के एक कार्यक्रम में जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का आमना-सामना हुआ तो दोनों की मुलाकात दिलचस्प रही। ममता बनर्जी, योगी के साथ तल्खी से ही मिलती दिखीं।

सीएम योगी और ममता बनर्जी एक ही पंक्ति में बैठे हुए थे। योगी की कुर्सी ममता बनर्जी से आगे थी, जहां जाने के दौरान योगी और ममता आमने-सामने आ गए। वहीं जब ममता बनर्जी के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान की मुलाकात हुई तो दोनों गर्मजोशी से मिलते नजर आए।

सिर्फ ममता ही अपनी धुर विरोधियों ने नहीं टकराईं बल्कि कई नेताओं का इस सम्मेलन में आमना-सामना हुआ। इसमें अरविंद केजरीवाल- मनोहर लाल खट्टर, भगवंत मान- खट्टर, शिवराज सिंह चौहान- भूपेश बघेल जैसे मुख्यमंत्रियों के नाम भी शामिल हैं।

manohar lal khattar, bhagwant mann
हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर और पंजाब सीएम भगवंत मान

विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भी शामिल हुए। जहां पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। सरकार न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार और उन्नयन के लिए भी काम कर रही है।

पीएम ने कहा- “भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में टेक्नोलॉजी को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है। ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन मोड में लागू की जा रही है। हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा”।

पीएम मोदी ने कहा कि 2015 में सरकार ने लगभग 1800 कानूनों की पहचान की जो अप्रासंगिक हो गए थे। इनमें से केंद्र ने 1450 कानूनों को खत्म कर दिया। वहीं राज्यों द्वारा केवल 75 कानूनों को समाप्त किया गया है।

वहीं सीजेआई रमना ने कहा कि संबंधित लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को शामिल करते हुए गहन बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए। अक्सर कार्यपालकों के गैर-प्रदर्शन और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है।

 

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