कारों पर जज पार्किंग स्टीकर के फर्जी इस्तेमाल के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में PIL दायर, अदालतों की सुरक्षा के लिए बताया खतरा

दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है, जो अपने वाहनों पर ‘जज’ लिखे पार्किंग स्टीकर का फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
नई दिल्ली |
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित दायर कर उन लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है जो फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी से अपने वाहनों पर ‘न्यायाधीश’ का स्टिकर (Judge Parking Sticker) लगाकर घूमते हैं। याचिका में कहा गया है कि वाहनों पर ‘न्यायाधीश या जज’ लिखे होने के चलते अदालतों सहित अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर तैनात सुरक्षा कर्मी ऐसे वाहनों की जांच नहीं करते हैं, ऐसे में यह सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।
वकील संसेर पाल सिंह ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में उन लोगों के खिलाफ कानूनी या विभागीय जांच की मांग की है जो अपने वाहनों पर नियमों की अनदेखी कर ‘न्यायाधीश या जज’ शब्द के स्टिकर लगाकर चलते हैं। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के प्रिंटआउट और धोखाधड़ी से प्राप्त स्टिकर का उपयोग सुरक्षा के लिए खतरा है क्योंकि ऐसे वाहनों को सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा तलाशी के लिए नहीं रोका जाता है।
वकील ने याचिका में राजधानी की निचली अदालतों में तैनात उन सभी न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने 2018 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके जज वाहन पार्किंग स्टिकर प्राप्त किया है। याचिका में इस बात के लिए आदेश जारी करने की मांग की गई है कि तय नियमों के तहत ही सभी न्यायिक अधिकारी न्यायाधीशों के लिए अधिकृत वाहन पार्किंग स्टिकर लें और उनका उपयोग करें।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि अदालतों की सुरक्षा को खतरे की आशंका के मद्देनजर उनके पास यह याचिका दाखिल करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। उन्होंने सभी जिला अदालतों के न्यायिक अधिकारियों को दिशा-निर्देशों का पालन करके न्यायाधीश वाहन पार्किंग स्टिकर प्राप्त करने के लिए आदेश जारी करने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर ऐसे लोग न्यायाधीश वाहन पार्किंग स्टिकर का इस्तेमाल कर रहे हैं जो न तो जज हैं और ना ही उन्हें इस तरह के स्टिकर अपने वाहन में लगाने का कोई अधिकार है। याचिका में कहा गया है कि यह गंभीर सुरक्षा खतरा हो सकता है।




