“ऐसे घोटाले होंगे, तो कौन करेगा भारत में निवेश…?” : NSE घोटाले में जज का CBI से सवाल

कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि एनएसई की पूर्व प्रमुख और एक हिमालय योगी से जुड़े हेरफेर मामले में बाजार नियामक SEBI की भूमिका भी भी जांच की जानी चाहिए.
नई दिल्ली :
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( NSE) घोटाले को लेकर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है. अदालत में सीबीआई से पूछा कि यदि ऐसे घोटाले होंगे तो भारत में निवेश कौन करेगा? कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि एनएसई की पूर्व प्रमुख और एक ‘हिमालयी योगी’ से जुड़े हेरफेर मामले में बाजार नियामक SEBI की भूमिका भी भी जांच की जानी चाहिए. विशेष जज ने सीबीआई से कहा, ‘देश की प्रतिष्ठा दांव पर है. घोटाले को लेकर आपका अनुमान क्या है?’जज ने कहा, ‘हमारी साख दांव पर है. यदि इस तरह के घोटाले होते हैं तो फिर भारत में कौन निवेश करेगा. आप जांच जारी नहीं रख सकते. पहले ही चार साल हो चुके हैं. आपको जल्द ही जांच पूरी करनी चाहिए.’
गौरतलब है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna)को हाल ही में देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में बड़ी गड़बड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है. चित्रा पर एक ‘हिमालयी योगी’ के प्रभाव में आकर बड़े फैसले लेने का आरोप है. सीबीआई के अनुसार, हिमालयी योगी, एनएसई के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian)थे. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि वह मामले में SEBI की भूमिका की जांच कर रही है. कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई कि मामले में एनएसई के पूर्व प्रबंधन निदेशक रवि नारायन (Ravi Narain)से भी पूछताछ की गई है.
चित्रा वर्ष 2013 से 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर थीं, बाद में उन्होंने निजी कारणों से पद छोड़ दिया था. चित्रा उस वक्त सुर्खियों में आईं थीं, जब बाजार नियामक सेबी ने एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक एनएसई की पूर्व एमडी (चित्रा रामकृष्ण ने) ने एक योगी के प्रभाव में आकर आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया.आयकर विभाग ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ कर चोरी के मामले की जांच के तहत मुंबई और चेन्नई स्थित उनके परिसरों पर छापे मारे थे. अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई का मकसद दोनों लोगों के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना तथा साक्ष्य जुटाना था. दरअसल, संदेह जताया गया था कि उन्होंने एक्सचेंज की गोपनीय जानकारी संभवत: तीसरे पक्षों के साथ साझा कर अवैध वित्तीय लाभ हासिल किये होंगे.