पंजाब बीबीएमबी:के किस नियम में बदलाव से किसान फिर हो रहे आंदोलित, 7 मार्च को करेंगे विरोध प्रदर्शन

नए नियमों का विरोध इंजीनियरों और किसानों के साथ-साथ पंजाब के राजनीतिक दलों की ओर से हुआ है. जहां कांग्रेस, आप और शिअद ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है, वहीं किसान संघों ने चेतावनी दी है कि कि अगर नए नियम वापस नहीं लिए गए तो वे विरोध करेंगे. हालांकि बीबीएमबी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ अन्य सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व पहले की तरह जारी रहेगा.
भारत सरकार ने 23 फरवरी, 2022 को बीबीएमबी नियम 1974 में संशोधन करने के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिससे बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्यों के चयन के मानदंड में बदलाव किया गया है.
चंडीगढ़.
केंद्र सरकार (Central Government) के बैकफुट पर आने के बाद किसान आंदोलन शांत हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार के एक और निर्णय ने किसानों के नए आंदोलन (New movement of the Farmers) को हवा देना शुरू कर दिया है. हाल ही में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (Bhakra Beas Management Board, बीबीएमबी) में दो प्रमुख पदों पर नियुक्तियों के संबंध में नियमों में संशोधन के केंद्र के फैसले को लेकर भाजपा को छोड़कर पंजाब में राजनीतिक दलों (Punjab political parties) में हड़कंप मच गया है. इस मुद्दे को लेकर विभिन्न किसान समूहों ने ऐलान किया है कि वे इस मुद्दे पर 7 मार्च को विरोध प्रदर्शन करेंगे. संयुक्त समाज मोर्चा (Samyukta Samaj Morcha) ने कहा है कि बीबीएमबी को यह निर्दिष्ट करना चाहिए कि पंजाब के सदस्य की स्थिति स्थायी होगी या नहीं अन्यथा इसके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जा सकता है.
क्या हैं नए नियम
भारत सरकार ने 23 फरवरी, 2022 को बीबीएमबी नियम 1974 में संशोधन करने के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिससे बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्यों के चयन के मानदंड में बदलाव किया गया है. नए नियम नियुक्तियों के लिए तकनीकी योग्यता निर्दिष्ट करते हैं और न केवल पंजाब और हरियाणा से बल्कि पूरे भारत से सदस्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं.
वर्तमान व्यवस्था
बीबीएमबी प्रबंधन में एक अध्यक्ष और दो पूर्णकालिक सदस्य शामिल हैं जो पंजाब और हरियाणा के सहयोगी राज्यों से हैं. उन्हें क्रमशः पंजाब और हरियाणा से सदस्य (विद्युत) और सदस्य (सिंचाई) के रूप में नामित किया गया है. संबंधित राज्य सरकारों द्वारा नामित राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित प्रत्येक सदस्य राज्य का प्रतिनिधित्व है. बीबीएमबी में लगभग 12,000 कर्मचारी हैं और इनमें से 696 समूह ए के अधिकारी हैं और सहयोगी राज्यों से तैनात हैं.
क्या कहते हैं पंजाब के राजनीतिक दल
नए नियमों का विरोध इंजीनियरों और किसानों के साथ-साथ पंजाब के राजनीतिक दलों की ओर से हुआ है. जहां कांग्रेस, आप और शिअद ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है, वहीं किसान संघों ने चेतावनी दी है कि कि अगर नए नियम वापस नहीं लिए गए तो वे विरोध करेंगे. हालांकि बीबीएमबी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ अन्य सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व पहले की तरह जारी रहेगा.
उन्होंने कहा है कि नए नियम केवल सदस्य (विद्युत) और सदस्य (सिंचाई) के लिए आवश्यक तकनीकी योग्यता बताते हैं. भाजपा ने आपत्ति करने के लिए अन्य दलों को भी फटकार लगाई और कहा कि नियमों में और बिजली और सिंचाई परियोजनाओं में सदस्य राज्यों की हिस्सेदारी में कोई भौतिक परिवर्तन नहीं हुआ है.
पंजाब की राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों की संभावना को कम करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है, जिन्हें दो पदों पर नियुक्त किया जा सकता है. उनका कहना है कि ये परिवर्तन बीबीएमबी के हिस्से के रूप में पंजाब की संभावनाओं को प्रभावित करते हैं और यह अंततः राज्य को बोर्ड से हटाने की साजिश है.