यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में देरी कर रही है केंद्र की मोदी सरकार:कांग्रेस

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में देरी कर रही है केंद्र सरकार….
यूक्रेन में जंग के ताजा हालात के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए वहां फंसे भारतीय नागरिकों को समय रहते न निकालने और आपदा में अवसर तलाशने का आरोप लगाया है। साथ ही रूस द्वारा किये जा रहे आक्रमण की निंदा की है।
फ्लाइट्स पर साइबर अटैक किया जा सकता है
दरअसल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जंग का ऐलान करने के बाद यूक्रेन ने अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है। रूसी हमले के बीच यूक्रेन को डर है कि उनके यहां आने वाली फ्लाइट्स पर साइबर अटैक किया जा सकता है। इसी के मद्देनजर विपक्षी दल ने केंद्र से ‘रूसी आक्रमण की स्पष्ट रूप से निंदा’ करने और यथास्थिति में किसी भी बदलाव के खिलाफ आवाज उठाने को कहा है।
मोदी सरकार अभी चुनाव लड़ने में व्यस्त है ?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि हर मुश्किल में मुंह फेर लेना और चुप्पी साध लेना ही मोदी सरकार की आदत बन गई है। सुरजेवाला ने कहा, भारत सरकार का कहना है-यूक्रेन में फंसे हमारे 20,000 भारतीय जहां हैं वहीं रहें। क्योंकि सरकार अभी चुनाव लड़ने में व्यस्त है ? प्रधानमंत्री जी, आप सभी का खयाल करने की बजाय चुनावी रैलियों में हवा भर रहे हैं। मगर हम देशवासी आप सभी की सकुशलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की स्पष्ट शब्दों में निंदा
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्विटर पर कहा कि एक समय आता है जब किसी को ‘दोस्तों’ से कहना चाहिए कि वे सत्ता परिवर्तन में शामिल न हों। उन्होंने कहा, भारत को स्पष्ट रूप से यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की स्पष्ट शब्दों में निंदा करनी चाहिए। एक समय आता है जब आपको ‘दोस्तों’ को बताने की जरूरत होती है कि वे व्यवस्था परिवर्तन में शामिल नहीं हो सकते। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समय-समय पर दुरुस्त करने की विशेषता होनी चाहिए।
आक्रमणकारी की पहचान के आधार पर सिद्धांत प्रासंगिक नहीं रह जाते
कांग्रेस के एक अन्य सांसद शशि थरूर ने चीन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक उद्धरण का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘आक्रमणकारी की पहचान के आधार पर सिद्धांत प्रासंगिक नहीं रह जाते हैं’। उन्होंने कहा, यूक्रेन पर भी हमारा यही रुख होना चाहिए। आक्रमणकारी की पहचान के आधार पर सिद्धांत प्रासंगिक नहीं रह जाते हैं।