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‘मैं शादी करके घर बसाना चाहती थीं’, जितेंद्र-धर्मेंद्र संग काम कर चुकीं एक्ट्रेस, 69 की उम्र में भी अकेले गुजार रहीं जिंदगी

बॉलीवुड की उमराव जान 10 अक्टूबर को 70 की हो जाएंगी. भानुरेखा गणेशन एक हैं लेकिन इनकी जिंदगी से जुड़े रहस्य और किस्से अनेक. साउथ स्टार शिवाजी गणेशन और पुष्पावल्ली की ये बेटी मांग में सिंदूर भरे अक्सर दिख जाती हैं. जब सोशल मीडिया का दौर नहीं था, फिल्मी पत्रिकाएं एकमात्र सहारा थीं. आम घरों में इन्हें रखने का रिवाज भी नहीं था. कई तरह की जिज्ञासा लोगों के दिलों में होती थी. ऐसी ही राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी को हुई और उन्होंने पूछ भी लिया. जानते हैं मौका क्या था?

 

नई दिल्ली.

रेखा पर लिखी किताब ‘रेखा द अनटोल्ड स्टोरी’ के मुताबिक मौका था राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का. रिवायतन राष्ट्रपति सबको सम्मानित करते हैं, रेखा को 1981 की कल्ट फिल्म उमराव जान के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिल रहा था. स्टेज पर पहुंची। तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने पूछा, ‘आप मांग में सिंदूर क्यों भरती हैं?’ रेखा ने जवाब दिया था, ‘मैं जिस शहर से आती हूं, वहां मांग में सिंदूर भरना आम बात है…फैशन है!’

रेखा कभी बेबाक-बिंदास हैं तो कभी छुईमुई सी। बिलकुल ‘झूठी’ की ‘कल्पना’ और ‘खूबसूरत’ की ‘मंजू’ जैसी हाजिरजवाब तो कभी उमराव जान की तरह खून का घूंट पीकर सब कुछ सह लेने वाली. एक्टर ने अपने बारे में बहुत कुछ सुना लेकिन कभी किसी को पलट कर कुछ कहा नहीं, बस अपने अंदाज में आगे बढ़ती रहीं.

 

कई एक्ट्रेस संग जुड़ा नाम
रेखा का नाम कई मेल एक्टर्स के साथ जुड़ा. सीरियस रिलेशनशिप में भी रहीं लेकिन ऐन शादी की दहलीज पर आकर सपना टूट गया. लोगों ने इनकी परवरिश और खानदान को लेकर सवाल खड़े किए. 1990 में शादी भी की, मुकेश अग्रवाल से जो महज 8 महीनों में दर्दनाक अंजाम तक पहुंची. दिल्ली के इस कारोबारी ने डिप्रेशन में आत्महत्या कर ली. तब सास ने डायन तक कहा पर रेखा ने अपनी रेखा कभी पार नहीं की.

1975 में साधी चुप्पी
अपने एक पुराने इंटरव्यू में तमाम इल्जाम पर चुप्पी साधने का राज भी खोला था. कहा था, मैं चुलबुली थी पर जब फिल्मी पत्रिकाएं अंट शंट छपने लगीं तो बात करना बंद कर दिया। खुलकर बात करती थी लेकिन फिर 1975 से खुद को समेट लिया. 3 साल की थीं तब से फिल्मों में काम कर रही हैं. 1969 में पहली हिंदी फिल्म सावन भादो की. बिलकुल इंट्रेस्ट नहीं था फिर भी काम किया. टर्निंग प्वाइंट ‘घर’ लेकर आया। रेप विक्टिम का किरदार शिद्दत से निभाया. क्रिटिक्स ने काम को खूब सराहा और तब से बकौल रेखा उन्होंने एक्टिंग पर ध्यान देना शुरू कर दिया. रेखा ने अपने करियर में धर्मेंद्र, जितेंद्र, राकेश रोशन जैसे हर स्टार के साथ काम किया है.

बता दें कि अपने करियर में रेखा ने नागिन (1976), मुकद्दर का सिकंदर (1978), मिस्टर नटवरलाल (1979), खूबसूरत (1980), उमराव जान (1981), खून भरी मांग (1988) जैसी फिल्मों में काम किया. रेखा हमेशा कहती रहीं कि वो स्टार नहीं एक्टर हैं. सिमी ग्रेवाल के शो में रेखा से जब पूछा गया कि ‘भानुरेखा’ क्या करना चाहती थी. तो उन्होंने कहा था कि एक्टर तो बिलकुल भी नहीं बनना चाहती थीं. वह तो शादी कर के घर बसाना चाहती थी. पता नहीं क्यों पर मैं चाहती थी.

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