‘साथ आने के लिए भरोसा जरूरी…’ कांग्रेस के साथ संबंधों पर प्रशांत किशोर ने किए कई खुलासे

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ संबंधों पर खुलकर चर्चा की
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘साथ आने के लिए भरोसा करने की जरूरत होती है और कई कारणों से हम भरोसा नहीं कर सके. उदाहरण के लिए मेरी तरफ से यूपी (2017 चुनाव) पर साथ काम करने का अनुभव खराब रहा. और इसलिए मुझे बहुत संदेह रहा. मैं अपने हाथ बांधकर काम नहीं करना चाहता था.’ उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी में शामिल होने जा रहा था. यह एक खास चुनाव के बारे में नहीं था. यहा 2024 चुनाव के बारे में भी नहीं था. यह कांग्रेस को दोबारा तैयार करने के बारे में था.’ किशोर ने बताया कि वे पार्टी के साथ ’90’ फीसदी मुद्दों पर सहमत थे.
नई दिल्ली.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कांग्रेस पार्टी (Congress) के साथ अपने संबंधों को लेकर कई खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के बगैर असरदार विपक्ष मुमकिन नहीं है. वहीं, उन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए हैं. हाल ही में दिए एक सक्षात्कार के दौरान किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने को लेकर भी चर्चा की. बीते साल खबरें आई थी कि किशोर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में किशोर ने कहा, ‘बंगाल के नतीजों के बाद सबसे ज्यादा समय मैंने कांग्रेस के साथ बातचीत में गुजारा है. लगभग पांच महीनों तक मई और सितंबर के बीच मैंने अपना हर मिनट दिया है.’ उन्होंने बताया कि वे करीब दो सालों से पार्टी के साथ चर्चा में बने हुए हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरों को यह स्वभाविक लगता है कि प्रशांत किशोर औऱ कांग्रेस को साथ आना चाहिए और काम करना चाहिए. लेकिन साथ काम करने के लिए दोनों पक्षों को भरोसा करना होगा. कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हुआ.’
उन्होंने कहा, ‘साथ आने के लिए भरोसा करने की जरूरत होती है और कई कारणों से हम भरोसा नहीं कर सके. उदाहरण के लिए मेरी तरफ से यूपी (2017 चुनाव) पर साथ काम करने का अनुभव खराब रहा. और इसलिए मुझे बहुत संदेह रहा. मैं अपने हाथ बांधकर काम नहीं करना चाहता था.’ उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी में शामिल होने जा रहा था. यह एक खास चुनाव के बारे में नहीं था. यहा 2024 चुनाव के बारे में भी नहीं था. यह कांग्रेस को दोबारा तैयार करने के बारे में था.’ किशोर ने बताया कि वे पार्टी के साथ ’90’ फीसदी मुद्दों पर सहमत थे.
यहां कांग्रेस को सराहा
उन्होंने कहा, ‘मैं एक संस्था के रूप में कांग्रेस को पसंद करता हूं. जिस विचार और स्थान का यह प्रतिनिधित्व करती है, उसके बगैर एक प्रभावी विपक्ष मुमकिन नहीं है. हालांकि, उसका मतलब यह नहीं है कि इसके लिए मौजूदा नेतृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस का होना जरूरी है. भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस में सुधार की जरूरत है.’
तृणमूल कांग्रेस पर दिया यह जवाब
तृणमूल कांग्रेस के साथ काम करने को लेकर उन्होंने बताया कि यह ‘बदला’ नहीं था. चुनावी रणनीतिकार ने कहा, ‘मैं उतनी बड़ी पार्टी से बदला लेने के लिए बहुत छोटा हूं. मुझे लगता है कि हमारे देश में हमें मजबूत विपक्ष की जरूरत है. एक विचार के रूप में कांग्रेस को कमजोर पड़ने की अनुमति नहीं है. यह लोकतंत्र के हित में है.’ हाल ही के महीनों में कांग्रेस से टीएमसी में नेताओं के दल-बदल पर उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय राजनीति में आने के लिए बंगाल चुनाव के बाद तृणमूल और I-PAC किसी तरह के समझौते में हैं. कुछ मौकों पर जहां उन्हें मेरी मदद की जरूरत पड़ती है, मैं उपलब्ध हूं.’