ब्लॉग

मोदी के नेतृत्व में ट्रम्प का भारत विरोधी रवैया साफ भारत ने अमेरिका के सामने एक तरह से आत्मसमर्पण कर दिया ?

डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद सम्हाले हुए अभी एक ही माह हुआ है और उनका भारत विरोधी रवैया साफ हो चला है

डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद सम्हाले हुए अभी एक ही माह हुआ है और उनका भारत विरोधी रवैया साफ हो चला है। अमेरिका की ओर से भारत का सतत अपमान तो हो ही रहा है, अब उसकी मदद रोककर यह संकेत दे दिया गया है कि अमेरिका के भारत के साथ वैसे सम्बन्ध नहीं रहेंगे जैसे पहले कभी होते थे। अधिक अपमानजनक तो यह है कि अमेरिका के साथ सम्बन्ध बनाये रखने के लिये भारत लगातार झुकता चला जा रहा है और अमेरिका है कि नरम पड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है। वह एक के बाद एक भारत विरोधी निर्णय लेता जा रहा है।

भारत को लेकर ट्रम्प का रुख वैसे तभी स्पष्ट हो गया था जब उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित नहीं किया था। उनकी बजाये उद्योगपति मुकेश अंबानी को सपत्नीक तथा विदेश मंत्री एस. जयशंकर को आमंत्रित कर एक तरह से मोदी का अपमान ही किया गया था। वैसे बताया जाता है कि जयशंकर को कुछ दिनों तक अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में डेरा डालना पड़ा था पर ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री को नहीं बुलाया सो नहीं ही बुलाया। इसके बाद भी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के साथ मुलाकात को लालायित मोदी ने अमेरिका का दौरा कर ही लिया। पिछले हफ्ते वे उनसे मिलकर आये हैं। ट्रम्प के साथ निजी मित्रता का दावा करने वाले मोदी जब अमेरिका जा रहे थे तभी अमेरिका ने पहली खेप के रूप में वहां रह रहे 104 गैरकानूनी अप्रवासी भारतीयों को सैन्य जहाज में हथकड़ी-बेड़ियों में बांधकर अमृतसर भेज दिया। लोगों को उम्मीद थी कि मोदी इस बाबत कड़े शब्दों में न केवल विरोध जताएंगे वरन यह सुनिश्चित करेंगे कि कम से कम अब आगे आने वाले भारतीय ऐसे अपमानजनक तरीके से नहीं भेजे जायेंगे।

वैसे पिछली बार अमेरिका ने जब इस तरह से भारतीयों को भेजा तब भारत में भारतीय जनता पार्टी व सरकार का एक बड़ा समर्थक वर्ग उस कार्रवाई को यह कहकर जायज ठहरा रहा था कि अमेरिका अपने देश के नियमों का पालन कर रहा है तो इसमें गलत ही क्या है। इतना ही नहीं, जयशंकर ने भी संसद में इस पर अपना बयान देकर अमेरिका का समर्थन किया था। हालांकि उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि कोलम्बिया व मैक्सिको जैसे छोटे देश, जो अमेरिका के पड़ोसी भी हैं, अपने नागरिकों को सम्मानपूर्वक वापस लाए थे। अपने ही नागरिकों के प्रति भारत सरकार के इस रवैये से सम्भवत: ट्रम्प प्रशासन का हौसला बढ़ा होगा तभी उसने शनिवार की रात फिर से 116 भारतीय उसी तरीके से भेजे। जैसा कि पहले ही घोषित किया जा चुका है कि अमेरिका ने ऐसे तकरीबन 18 हजार अवैध प्रवासियों की शिनाख्त कर ली है जो क्रमवार भारत आयेंगे। भारत की प्रतिष्ठा को किस कदर चोट पहुंचेगी और उसकी छवि दुनिया भर में क्या बनेगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। साफ है कि ट्रम्प इस मामले में भारत के साथ कोई रहमदिली नहीं दिखाने जा रहे हैं।

ट्रम्प मानों इतने भर से संतुष्ट नहीं हैं जो उन्होंने अमेरिका द्वारा भारत को दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर की सहायता पर भी रोक लगा दी। दरअसल उन्होंने सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) के फैसले को मंजूरी दी है जिसने इस आशय की सिफारिश की है। एक प्रेस काफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा कि ‘भारत के पास बहुत पैसा है। वह दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देशों में से एक है। अमेरिका के लिये वहां व्यवसाय करना मुश्किल है क्योंकि उसके शुल्क बहुत हैं।’ उनका कहना था कि भारत की आर्थिक वृद्धि तथा विदेशी व्यापार की ऊंची शुल्क दरों के चलते भारत को अमेरिकी करदाताओं का पैसा देने की आवश्यकता नहीं है।उल्लेेखनीय है कि डीओजीई की अध्यक्षता दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी व ट्रम्प के नज़दीकी एलन मस्क करते हैं। उन्होंने एक्स पर इस कटौती की घोषणा की जो भारत को बड़ा झटका है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अपने अमेरिकी दौरे पर मोदी मस्क से उनके परिजनों के साथ मिले थे और दोनों के बीच सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में चर्चा भी हुई थी। मस्क ने भारत के साथ लाइबेरिया में भी मतदाताओं का राजनीतिक प्रक्रिया में भरोसा बढ़ाने के सम्बन्धी गतिविधियों के लिये दी जाने वाली लगभग इतनी ही सहायता राशि तथा नेपाल को जैव विविधता के संरक्षण हेतु आवंटित किये जाने वाले धन को भी रोक दिया है। मस्क ने इन सभी को ‘गैरजरूरी खर्च’ बतलाया है।

अमेरिका से मिल रहे ये सारे संकेत भारत के लिये बहुत बुरे कहे जा सकते हैं। ट्रम्प ने एक ओर तो मोदी से उस समझौते पर हस्ताक्षर करा लिये जिसके अंतर्गत भारत अमेरिका से प्राकृतिक गैस व तेल (जो कि महंगी दर पर होगा) तथा एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदेगा, जो पुरानी पड़ चुकी तकनीक पर आधारित है व जिसे मस्क कबाड़ बताते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ भारत में अमेरिकी कम्पनी टेस्ला की व्यवसायिक गतिविधियां प्रारम्भ होने जा रही हैं, जिसके मालिक एलन मस्क ही हैं। मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका के सामने एक तरह से आत्मसमर्पण कर दिया है, जिसके चलते अमेरिका भारत के साथ लगातार अपमानजनक व्यवहार कर रहा है। भारत को इसका कड़ा जवाब देने की ज़रूरत है।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button