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गवाहों से जिरह कराये बगैर हत्या के मामले में आरोपी को बरी करना सही नहीं :सुप्रीम कोर्ट

उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाश पीठ ने कहा कि वह जुलाई 2018 के (उच्च न्यायालय के) फैसले में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है.

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को इसे बहुत स्तब्ध कर देने वाला बताया कि बिहार में एक निचली अदालत ने हत्या के एक मामले में सभी गवाहों से जिरह कराये बगैर आरोपी को बरी कर दिया.

शीर्ष न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज करते हुए यह कहा, जिसमें आरोपी को बरी करने वाले निचली अदालत के एक आदेश को निरस्त कर दिया गया था. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इसने ‘‘उसकी अंतरात्मा को झकझोर कर दिया है’’ कि बिहार में इस तरह की चीज हो रही है.

उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाश पीठ ने कहा कि वह जुलाई 2018 के (उच्च न्यायालय के) फैसले में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है.

पीठ ने कहा, ‘‘क्या यह आपकी अंतरात्मा को नहीं झकझोरता? कम से कम, इसने मेरी अंतरात्मा को तो झकझोर दिया कि बिहार जैसे राज्य में क्या हो रहा है. यह स्त्ब्ध कर देने वाला है. यह बहुत ही दुभार्ग्यपूर्ण है.’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत दायर विशेष अनुमति याचिका स्वीकार करने को इच्छुक नहीं है और यह खारिज की जाती है. ’’ शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह इस बारे में पूरी तरह से संतुष्ट है कि न्याय किया गया है और वह अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप नहीं करेगा.

उच्च न्यायालय ने मामले में बेगुसराय की एक निचली अदालत के जुलाई2015 के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर निर्णय सुनाया था. निचली अदालत ने मामले में कई आरोपियों को बरी कर दिया था.

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