आंदोलन के दौरान मारे गए अन्नदाताओं के लिए राहुल गांधी ने की मुआवजे की मांग

पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने कृषि कानूनों की वापसी के बाद केंद्र सरकार से मृतक किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। हालांकि केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि सरकार के पास मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में मुआवजा देने का सवाल नहीं है। वहीं विपक्षी दल इसको लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं।
लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “किसान आंदोलन में लगभग 700 किसान शहीद हुए, प्रधानमंत्री ने देश और किसानों से माफी मांगी। 30 नवंबर को कृषि मंत्री से सवाल पूछा गया था कि किसान आंदोलन में कितने किसान शहीद हुए। कृषि मंत्री ने कहा कि उनके पास कोई आंकड़ा नहीं है।”
राहुल गांधी ने कहा कि हमने पता लगाया कि पंजाब की सरकार ने लगभग 400 किसानों को 5 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया और उनमें से 152 किसानों को रोज़गार दिया। हमने हरियाणा के 70 किसानों की भी सूची बनाई है। मैं चाहता हूं कि इनका हक पूरा होना चाहिए और उनको मुआवज़ा और रोज़गार मिलना चाहिए।
जहां लोकसभा में राहुल गांधी ने सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की तो वहीं अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा,
सत्याग्रही शहीद किसानों के नाम पर मुआवज़ा ना देना, नौकरी ना देना और अन्नदाताओं के ख़िलाफ़ पुलिस केस वापस ना लेना बहुत बड़ी ग़लतियाँ होंगी।
आख़िर PM कितनी बार माफ़ी माँगेंगे?#FarmersProtest
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 7, 2021
वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी कहा कि, जब कृषि क़ानून पर प्रधानमंत्री ने खुद अपनी गलती मानी है फ़िर सरकार को शहीद हुए किसानों को मुआवजा देना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर नुकसान सरकार की गलती से हुआ है तो मुआवजा भी सरकार को देना चाहिए।
टीआरएस शीतकालीन सत्र के दौरान किसानों के मुद्दे के अलावा 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन को लेकर भी विरोध किया गया। एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सपा सांसद जया बच्चन समेत कई नेताओं संसद परिसर में स्थापित गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। वहीं टीआरएस सांसदों ने मंलगवार 7 दिसंबर से पूरे शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया है। यह बहिष्कार धान खरीद, राज्यसभा के 12 निलंबित सांसद और तेलंगाना से जुड़े अन्य मुद्दो लेकर हैं।