म्यांमार की 76 साल की नेता आंग सान सू को 4 साल की सजा

म्यांपार की एक कोर्ट ने सोमवार को वहां की नेता आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों को तोड़ने के लिए कुल 4 साल की जेल की सजा सुनाई है। म्यांमार में सत्ताधारी जुंटा के प्रवक्ता के मुताबिक आंग सान सू की को दो साल की सजा सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और दो साल की सजा प्राकृतिक आपदा कानून के तहत दी गई है। म्यांमार में पिछले करीब आठ महीनों में 1,300 से ज्यादा लोगों का कत्ल हो चुका है और 10,000 से भी ज्यादा लोग सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए हैं। सान सू की के खिलाफ जो बाकी मामले हैं और उनमें भी वह दोषी करार दी जाती हैं तो उन्हें दशकों तक जेल में ही गुजारना पड़ सकता है।
सू की के खिलाफ बाकी मामलों पर भी सुनवाई जारी आंग सान सू की के अलावा म्यांमार के पूर्व राष्ट्रपति विन मिंट को भी इन्हीं सब आरोपों में चार साल की कैद सुनाई गई है। हालांकि, जुंटा के मुताबिक फिलहाल इन्हें जेल में नहीं ले जाया जाएगा। जुंटा के अनुसार उनके खिलाफ बाकी मामलों की सुनवाई वहीं से चलेगी, जहां पर फिलहाल उन्हें रखा गया है। हालांकि, इसके बारे में जुंटा ने कोई ज्यादा जानकारी नहीं दी है। सू की के खिलाफ आगे क्या है मामला ? 76 वर्षीय म्यांमार की लोकप्रिय नेता को वहां के सेना के जनरल ने उनकी सरकार को अपदस्थ करके उन्हें हिरासत में ले लिया था। 1 फरवरी को तड़के हुई इस सैन्य कार्रवाई के बाद से म्यांमार में थोड़े समय के लिए स्थापित लोकतांत्रिक सत्ता समाप्त हो चुकी है। सू की को हिरासत में लेने के बाद जुंटा सरकार की ओर से कई और तरह के आरोप लगाए गए हैं, जिनमें ऑफिशियल सीक्रेट ऐक्ट के उल्लंघन, भ्रष्टाचार और चुनाव में धोखाधड़ी जैसे मामले शामिल हैं। अगर नोबल पुरस्कार विजेता सू की को इन सभी आरोपों में दोषी साबित कर दिया जाता है तो उन्हें ता-उम्र जेल में भी गुजारनी पड़ सकती है।
1,300 से ज्यादा लोगों की हो चुकी हैं हत्याएं म्यांमार की जिस स्पेशल कोर्ट में आंग सान सू की के खिलाफ सुनवाई हो रही थी, वहां की कार्यवाही को कवर करने से पत्रकारों को रोक दिया गया था और सू की के वकीलों को भी मीडिया से बातचीत करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। एक स्थानीय निगरानी समूह के मुताबिक म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार के तख्तापलट करने के बाद से वहां के सैन्य शासन में 1,300 से ज्यादा लोगों की हत्याएं हो जुकी हैं और विरोध की आवाज उठाने पर 10,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।