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IIT में आरक्षण नीतियों का होता है उल्लंघन? SC ने नोटिस भेजकर केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब

नई दिल्ली।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में शोध डिग्री कार्यक्रमों में प्रवेश और फैकल्टी सदस्यों की भर्ती में आरक्षण नीतियों का पालन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, बी आर गवई और बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र और सभी आईआईटी से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें आरोप लगाया गया था कि संस्थान आरक्षण नीतियों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सच्चिदा नंद पांडे ने याचिका दायर की थी, जिन्होंने आरक्षण मानदंडों के उल्लंघन, पारदर्शी भर्ती नीति के गठन के कारण गैर-निष्पादित फैकल्टी की नियुक्ति को रद्द करने के निर्देश भी मांगे थे।

इसने छात्रों / विद्वानों और अनुसंधान उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिए एक तंत्र बनाने और मौजूदा फैकल्टी के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की भी मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि अनुसंधान कार्यक्रम में प्रवेश लेने और आईआईटी द्वारा फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से असंवैधानिक, अवैध और मनमानी पूर्ण है। याचिका में यह भी कहा गया है कि आईआईटी संवैधानिक जनादेश के अनुसार आरक्षण के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है, ”आईआईटी फैकल्टी सदस्यों की भर्ती में पारदर्शी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं। यह भ्रष्टाचार, पक्षपात और भेदभाव की संभावना को बढ़ाता है। देश की आंतरिक रैंकिंग और तकनीकी विकास को प्रभावित करता है।”

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