‘करवा चौथ’ करने वाली महिला जानिए करवा चौथ व्रत के नियम और पूजा सामग्री

रविवार को सुहागिनों का प्रमुख त्योहार ‘करवा चौथ’ है। पति की सलामती के लिए रखा जाने वाला ये उपवास आज काफी ग्लैमराइज्ड हो गया है हालांकि फैशन और आधुनिकता के इस दौर में भी ये पर्व आज भी काफी पारंपरिक अंदाज में ही मनाया जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं सुबह से निरजला व्रत रखती हैं और शाम को चांद को अर्ध्य देकर पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं। हर व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन उपवास रखने वाली महिलाओं को करना अति-आवश्यक होता है।
पहले
क्या है पूजा सामग्री?
मिट्टी का ढक्कन वाला करवा।
मां गौरी ,चौथ माता एवं गणेश जी की मूर्ति
जल चढ़ाने के लिए लोटा
गंगाजल
गाय का कच्चा दूध, दही एवं देसी घी
अगरबत्ती, रूई और एक दीपक
अक्षत, फूल, चंदन, रोली, हल्दी और कुमकुम
भोग के लिए मिठाई, शहद, चीनी, पूड़ी और हलवा
इत्र, मिश्री, पान एवं खड़ी सुपारी
पूजा के लिए पंचामृत
अर्घ्य के समय छलनी
महावर, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, कंघा, बिछुआ, चुनरी आदि।
इस दिन महिलाओं को प्रात: काल नहा धोकर सरगी करनी चाहिए।
सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के बीच करना चाहिए।
फिर उपवास करने वाली महिलाओं को अपना व्रत शुरू करना चाहिए।
इस दिन महिलाओं को निंदा, घरेलू झगड़ों और आलोचनाओं से दूर रहना चाहिए।
इस दिन किसी को सफेद सामान जैसे दूध, दही, चावल और सफेद कपड़ा जैसी कोई चीज दान नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से चांद को गुस्सा आता है और इस दिन चंद्र देवता को नाराज करना अच्छा नहीं होता है।
महिलाओं को 16 शृंगार करके करवाचौथ की पूजा करनी चाहिए।
महिलाओं को इस दिन काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
कोशिश करें इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं लाल-पीले-गुलाबी वस्त्र धारण करें।
जब भी करवा चौथ की पूजा सुनें तब हृदय में चौथ माता का ध्यान और हाथों में चावल के दाने होते हैं।
मिट्टी के करवे में पूड़ी-हलवा और ढ़क्कन के ऊपर कोई वस्त्र रखकर व्रत करने वाली महिलाएं अपनी जेठानी या देवरानी या ननद या बहन को देंं।