Breaking News

न्यायाधीशों को भगवान और कोर्ट को मंदिर के बराबर मानने का चलन खतरनाक है.: सीजेआई चंद्रचूड़

‘जज को खुद को भगवान…’ सीजेआई चंद्रचूड़ ने कोर्ट और जस्टिस को लेकर क्या कह दिया?

कोलकाता में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के रिजनल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अक्सर हमें कोर्ट में माननीय या लॉर्डशिप या लेडीशिप के रूप में संबोधित किया जाता है. जब लोग कहते हैं कि न्यायालय न्याय का मंदिर है, तो यह बहुत बड़ा खतरनाक हो जाता है क्योंकि हम खुद को उन मंदिरों में देवता के रूप में देखने लगते हैं.’

कोलकाता

भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट और जजों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत में जजों और आदालतों को लेकर बड़ा ही खतरनाक चलन है, जिसमें- न्यायाधीशों को भगवान और कोर्ट को मंदिर के बराबर मानने का चलन खतरनाक है. उन्होंने कहा कि जज का काम पब्लिक सेवा करना है, अगर ऐसा किया चलन प्रैक्टिस किया जाता रहता है तो देश के न्यायपालिका के लिए उचित नहीं होगा.

कोलकाता में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के रिजनल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अक्सर हमें कोर्ट में माननीय या लॉर्डशिप या लेडीशिप के रूप में संबोधित किया जाता है. जब लोग कहते हैं कि न्यायालय न्याय का मंदिर है, तो यह बहुत बड़ा खतरनाक हो जाता है क्योंकि हम खुद को उन मंदिरों में देवता के रूप में देखने लगते हैं.’ सीजेआई ने कहा कि जब उनसे कहा जाता है कि कोर्ट को ‘न्याय का मंदिर’ है, तो उन्हें संकोच होता है, क्योंकि मंदिर में जस्टिस को देवता के रूप में देखा जाने लगता है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा, ‘मैं जज की भूमिका को लोगों के सेवक के रूप में फिर से परिभाषित करना चाहूंगा और जब आप खुद को ऐसे लोगों के रूप में देखते हैं, जो दूसरों की सेवा करने के लिए हैं, तो आप खुद में करुणा, सहानुभूति, न्याय करने की धारणा लाते हैं, लेकिन दूसरों के बारे में जजमेंटल नहीं होते हैं.’ उन्होंने कहा कि आपराधिक मामले में किसी को सजा सुनाते समय भी न्यायाधीश करुणा की भावना के साथ ऐसा करते हैं, क्योंकि अंत में एक इंसान को सजा सुनाई जाती है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसलिए संवैधानिक नैतिकता की ये कॉन्सेप्ट, जो मुझे लगता है, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों के लिए ही नहीं बल्कि जिला न्यायपालिका के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आम नागरिकों की भागीदारी सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से जिला न्यायपालिका से शुरू होती है.’ इस दौरान सीजेआई ने न्ययपालिका में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर भी जोर दिया.

सीजेआई ने न्ययपालिका में लोगों के लिए बाधाओं पर फोकस किया. उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए फैसलों तक पहुंचने और उन्हें समझने में मुख्य बाधा लैंग्वेज गैप (भाषा) है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘टेक्नोलॉजी हमें कुछ उत्तर दे सकती हैं, ज़्यादातर फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं, तो अभ हम उनकी मदद से अनुवाद करने में सक्षम हो गए हैं. हम 51,000 फैसलों का दूसरी भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं.

 

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button