जिनको पूंजीपति खा रहे हैं, हम उन लोगों के लिए धरना दे रहे हैं : गुरनाम सिंह चढूनी

जींद
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को लेकर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हमारा धरना अपने लिए नहीं बल्कि उन लोगों के लिए हैं जिन्हें पूंजीपति खा रहे हैं।
किसान नेता ने कहा कि हम खुद के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए धरनों पर बैठे हैं। चढूनी ने कहा कि हम आपस में लड़ने के लिए नहीं बैठे हैं बल्कि हम उन लोगों के लिए धरनों पर बैठे हैं, जिनको पूंजीपति खा रहे हैं।
खटकड़ टोल पर जारी किसानों के धरने को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हम आपस में लड़ पड़े तो वो हमें खा जाएंगे। चढूनी ने कहा कि खटकड़ टोल का धरना पूरे हरियाणा में नंबर एक पर चल रहा है और यहां के धरने पर महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बड़ी संख्या में हो रही है।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं, सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा।
किसान बीते साल सितंबर महीने में बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।