धर्म

शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार व्रत करें आइए जानते हैं भगवान शिव का मंत्र..

अविवाहित लोग (Sawan Somvar Vrat For Unmarried) अगर सावन के 16 सोमवार का व्रत करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत की पूजा सामग्री और भगवान शिव का मंत्र…

सावन का पहला सोमवार कल यानी कि 26 जुलाई को है. सावन के पहले सोमवार की हिंदू धर्म में बहुत महिमा है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. सुबह से ही भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग (Shivling) पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं. हालांकि कोरोना काल (Corona time) के चलते इस बार भक्त घर पर ही सावन सोमवार की पूजा अर्चना करेंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे दिन से सावन सोमवार व्रत करता है और भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करता है उसपर भोलेशंकर भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद बना रहता है. अविवाहित लोग अगर सावन के (Sawan 16 Somvar Vrat For Unmarried) 16 सोमवार का व्रत करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत की पूजा सामग्री और भगवान शिव का मंत्र…

भगवान शिव की पूजा की सामग्री: 
सावन के पहले सोमवार में भगवान शिव की पूजा के लिए स्फटिक का शिवलिंग या मिट्टी का शिवलिंग भी ले सकते हैं, फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री लें.

भगवान शिव का मंत्र:

महामृत्युञ्जय मन्त्र:
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से मृत्यु और भय से छुटकारा प्राप्त होता है. इसके साथ ही जातक दीर्घायु होता है.

-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

– ॐ नमः शिवाय.

सावन सोमवार व्रत-विधि
-सावन सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें.
-इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
-साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं.
-पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेल पत्र अर्पित करें.
-शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं.
-प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं.
-धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें.
-आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बांटें.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. क्राइम कैप न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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