राजस्थान

अशोक गहलोत ने मान ली होती सुनील कानुगोलू की ये बात तो राजस्थान में बदल जाता रिवाज!

तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी को शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले रणनीतिकार सुनील कानुगोलू ने अन्य राज्यों के लिए पार्टी हाईकमान को अहम सलाहें दी थी, लेकिन प्रदेश के नेता उसपर अमल करने में विफल रहे.

विधानसभा चुनाव में तीनों हिंदी भाषी राज्यों में मिली बुरी हार के बाद कांग्रेस पार्टी को केवल तेलंगाना से राहत की खबर मिली है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि कांग्रेस एकदम से खत्म हो गई है. वह एक और राज्य जीत सकती थी. वह राज्य है राजस्थान. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक इस राज्य में दोनों दलों के बीच वोट प्रतिशत का अंतर केवल 2.25 फीसदी है. भाजपा को 41.85 फीसदी वोट मिल रहे हैं वहीं कांग्रेस खाते में 39.50 फीसदी वोट जा रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना की जीत में पार्टी के रणनीतिकार सुनील कानुगोलू का बड़ा हाथ है. उनकी संस्था को पार्टी ने फ्रीहैंड दे रखा था. उनकी सलाह को राज्य की पार्टी ईकाई गंभीरता से ले रही थी और उसी के अनुरूप चुनाव प्रचार में आगे बढ़ रही थी

इससे पहले कानुगोलू ने कर्नाटक में भी पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाने में अहम योगदान दिया था. उनकी सलाह पर ही कर्नाटक में पार्टी ने अपना चुनाव अभियान चलाया और शानदार जीत हासिल की थी. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सुनील कानुगोलू की हर सलाह कांग्रेस पार्टी के सभी प्रदेशों में लागू होता है. अखबार ने सुनील की संस्था के एक प्रमुख सहयोगी के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें तेलंगाना में काम करने की पूरी छूट दी थी. संस्था ने ईमानदारी से सर्वे किया. हमने कमियों को उजागर किया न कि पार्टी को अच्छा लगने के लिए केवल अच्छी-अच्छी बाते कीं. हमने कमियों को उजागर किया और उसपर पार्टी के भीतर चर्चा भी हुई.

ओवर कंफिडेंट थे नेता
उन्होंने कहा कि यह बात अन्य राज्यों पर लागू नहीं होती. उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्थान में कांग्रेस बहुत अच्छी स्थिति में थी. लेकिन, संस्था के सुझाव को वहां लागू नहीं किया गया. चुनावी पंडितों ने भी कहा था कि राज्य में अशोक गहलोत के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं है. बल्कि जनता विधायकों से नाराज है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां तक कहा था कि वह राज्य को सुनील कानुगोलू से ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं. फिर संस्था की ओर से सर्वे के आधार जिन विधायकों के टिकट काटने की बात कही गई थी वैसा नहीं किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे आंतरिक सर्वे पर सीएम अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश में पार्टी नेता कमलनाथ सहमत नहीं हुए और फिर उनकी सलाह नजरअंदाज कर दी गई.

उन्होंने आगे कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमारी संस्था ने तेलंगाना में कांग्रेस को जीत दिलाई. बल्कि तेलंगान के कांग्रेस नेताओं ने हमारी सलाह को गंभीरता से लिया और उसपर अमल किया.

दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले कानुगोलू की टीम ने सभी राज्यों में अपना सर्वे करवाया था. उसके आधार पर उसने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कई विधायकों के टिकट काटने के सुझाव दिए थे. लेकिन, उनके सुझाव पर प्रदेश के नेताओं के दबाव में पार्टी हाईकमान अमल नहीं कर पाया.

 

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