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झारखंड हाई कोर्ट ने पुलिस अफसरों की लगाई क्लास, कहा, ‘आरोपियों से मिलीभगत है क्या?’

Sexual Assault with Minor Case : नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य के डीजीपी, दुमका के डीआईजी समेत कई अफसरों को गंभीर लापरवाही और कोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना के लिए कैसे कड़े शब्दों में फटकारा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट.

रांची.

एक नाबालिग किशोरी के साथ हुए यौन शोषण के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने केस के जांच अधिकारी समेत राज्य के आला पुलिस अफसरों को अच्छी खासी फटकार लगाई. हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े कई गंभीर सवाल खड़े करते हुए कड़े शब्दों में कहा कि इन अफसरों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाना चाहिए. साथ ही, कोर्ट ने पुलिस विभाग के रवैये पर नाराज़गी जताते हुए​ विभाग से लापरवाही और लेटलतीफी को तत्काल निजात पाने को भी कहा. राज्य के आला ​पुलिस अफसरों को फटकार लगाने वाले इस पत्र की कॉपी हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी.

मामले के मुताबिक 13 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म किए जाने के एक मामले में बेल के आवेदन पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पुलिस विभाग की लापरवाहियों को एक के बाद एक ​कड़े शब्दों में गिनाया और नाराज़गी ज़ाहिर की. साहेबगंज, दुमका के इस मामले में POCSO के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद पीड़िता को गवाह न बनाए जाने और ट्रायल कोर्ट के कई आदेशों के बाद भी पीड़िता को अदालत के सामने न लाने पर कोर्ट ने खासी हैरानी और नाराज़गी जताई.

कोर्ट ने किन सवालों से किया पुलिस को शर्मसार?
हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग को समझाया कि कोर्ट का पत्र, कोई साधारण पत्र नहीं होता बल्कि एक निर्देश होता है और पुलिस उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती. इस मामले में कई पुलिस अधिकारियों को प्रथम दृष्ट्या कोर्ट की अवमानना का आरोपी पाते हुए हाई कोर्ट ने इन पर केस चलाए जाने की बात कही. इससे पहले कोर्ट ने एक के बाद एक पुलिस विभाग पर केस से जुड़े सवाल इस तरह पूछे.

1. पीड़िता को चार्जशीट गवाह क्यों नहीं बनाया गया? इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?
2. अगर डीजीपी को पता था कि इसकी ज़िम्मेदारी अब तक तय नहीं की जा सकी, तो खुद उन्हें यह काम करना था और कोर्ट को सूचित करना था कि क्या कदम उठाए गए. क्यों नहीं किया?
3. पीड़िता को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के संबंध कोर्ट के कई आदेशों के बावजूद ऐसा नहीं किया गया, साहेबगंज के एसपी और दुमका डीआईजी ने ऐसा क्यों नहीं सुनिश्चित किया? पीड़िता को कोर्ट में लाने के जनवरी 2020 और फरवरी 2020 के कोर्ट के आदेशों को न माने जाने पर डीजीपी ने क्या कदम उठाए?
4. जांच अधिकारी, मिर्ज़ाचौकी थाना प्रभारी, साहेबगंज एसपी, दुमका डीआईजी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस क्यों न चलाया जाए?

इस तरह फटकार लगाते हुए कोर्ट ने पुलिस की इस तरह की लापरवाही और गैर ज़िम्मेदाराना बर्ताव पर डांटते हुए पूछा कि ‘क्या पुलिस आरोपियों की तरफदारी कर उन्हें बचाने का काम कर रही है?’ साथ ही, हाई कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिए कि मामले की पूरी जांच और तस्दीक करने के बाद तीन हफ्ते के भीतर वह निजी तौर पर हलफनामा पेश करें.

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