कोरोना: डेल्टा वैरिएंट के वाहक हो सकते हैं नाबालिग, वायरोलॉजिस्ट की चेतावनी

वायरोलॉजिस्ट जूलियन तांग (Julian Tang) ने कहा है-हालिया डेटा में सामने आया है कि वायरस का प्रसार 30 साल के कम के लोगों में बढ़ा क्योंकि उनमें वैक्सीनेशन कम हुआ था. अब सरकार 18 से ऊपर सभी का वैक्सीनेशन कर रही है. ऐसे में 18 से कम उम्र के बच्चे वायरस के वाहक हो सकते हैं.
ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्ट ने वैक्सीनेशन रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं..
नई दिल्ली.
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में कोरोना के बढ़ते मामलों (Covid Cases) के बीच एक वायरोलॉजिस्ट ने वैक्सीनेशन रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं. एक तरफ जहां सरकार वैक्सीनेशन स्पीड बढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं लाइसेस्टर यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट जूलियन तांग ने कहा है-हालिया डेटा में सामने आया है कि वायरस का प्रसार 30 साल के कम के लोगों में बढ़ा क्योंकि उनमें वैक्सीनेशन कम हुआ था. अब सरकार 18 से ऊपर सभी का वैक्सीनेशन कर रही है. ऐसे में 18 से कम उम्र के बच्चे वायरस के वाहक हो सकते हैं.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना के मामलों में आए उछाल में 99 फीसदी मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं. ये वैरिएंट पहली बार भारत में पाया गया था. यूके में इस वक्त अनलॉकिंग की प्रक्रिया जारी है. और इसी बीच मामले में भी बढ़ रहे हैं. सरकार का मानना है कि 19 जुलाई तक देश की 70 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन हो जाए तो तीसरी लहर कमजोर पड़ जाएगी.
डेल्टा वैरिएंट के वाहक स्कूली बच्चे हो सकते हैं
लेकिन जूलियन तांग का कहना है कि सरकार अभी 18+ वालों का ही वैक्सीनेशन कर रही है. ऐसे में अगर वैक्सीनेशन के बाद वयस्क आबादी सुरक्षित हो गई तो डेल्टा वैरिएंट का प्रसार नाबालिगों में सबसे ज्यादा होगा. डेल्टा वैरिएंट के वाहक स्कूली बच्चे हो सकते हैं. यानी इस आयु समूह में कोरोना वायरस का प्रसार बढ़ सकता है.
वैक्सीनेशन के सकारात्मक असर अब दिखाई देने लगे हैं
वहीं पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की स्ट्रैटजी डायरेक्टर डॉ. सुजैन हॉपकिन्स का कहना है-हम निश्चित तौर पर नए मामलों की घटोतरी होते हुए देख रहे हैं. हम देख रहे हैं कि कभी मामले बढ़ जाते हैं तो कभी घट जाते हैं. माना जा सकता है कि वैक्सीनेशन के सकारात्मक असर अब दिखाई देने लगे हैं.