रंभा तीज व्रत कब है? जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अप्सरा रम्भा ने भी यह व्रत किया था इसलिए इस व्रत को रंभा तीज कहा जाता है. सौभाग्य के लिए इस व्रत में शिव और माता पार्वती, धन की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा -अर्चना की जाती है.
रंभा तीज व्रत 13 जून, रविवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ रहा है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं. यह व्रत अप्सरा रंभा से भी जुड़ा माना जाता है, इसलिए इनका सुमिरन भी किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत करने वाली स्त्रियों को सौभाग्य, यौवन और सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथा के अनुसार, अप्सरा रम्भा ने भी यह व्रत किया था इसलिए इस व्रत को रंभा तीज कहा जाता है. सौभाग्य के लिए इस व्रत में धन की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा -अर्चना की जाती है. आइए जानें रंभा तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…
रंभा तीज शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि का आरंभ: 12 जून, शनिवार को रात्रि 20 बजकर 19 मिनट.
तृतीया तिथि का समापन: 13 जून, रविवार को रात्रि 21 बजकर 42 मिनट.
रंभा तीज पूजा विधि:
रंभा तीज करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए. इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव – मां पार्वती और लक्ष्मी जी का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए. इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए. पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए. इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए. व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करना चाहिए. 5 घी के दिए बनाकर रखें और लाल चूड़ियों को भी पूजा में रखें. अब गणेश जी की पूजा करें फिर 5 घी के दीयों और चूड़ियों की. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. मां पार्वती को मकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.क्राइम कैप न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)