10 जून को है वट सावित्री व्रत, जानें शुरू मुहूर्त और संपूर्ण जानकारी

वट सावित्री व्रत जीवनसाथी की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन (Partner Long Age And Healthy Life) की कामना हेतु किया जाता है. इस बार शनि जयंती और सूर्य ग्रहण वाले दिन वट सावित्री व्रत पड़ रहा है.
सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं.
वट सावित्री व्रत 10 जून, गुरुवार को है. वट सावित्री व्रत जीवनसाथी की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन (Partner Long Age And Healthy Life) की कामना हेतु किया जाता है. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा (Women Worship Banyan Tree) करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं. इस बार शनि जयंती और सूर्य ग्रहण वाले दिन वट सावित्री व्रत पड़ रहा है. वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. इसमें पूजन सामग्री का काफी महत्व होता है क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए बेहतर है कि व्रत रखने से पहले ही आप ये पूजा सामग्री खरीदकर घर पर रख लें ताकि ऐन वक्त पर जल्दबाजी में कोई सामान भूल न जाएं.
वट सावित्री व्रत के लिए पूजन सामग्री:
बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), लाल और पीले रंग का कलावा, अगरबत्ती या धूपबत्ती, पांच प्रकार के 5 फल, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिन्दूर (बिना इस्तेमाल किया हुआ) और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए.
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त:
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 9 जून 2021, दोपहर 01:57 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, शाम 04:22 बजे
उदया तिथि में अमावस्या तिथि 10 जून को है, इसलिए यह व्रत और पूजन 10 जून को करना ही शुभ है.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि:
शादीशुदा महिलाएं इस दिन तड़के सुबह उठकर नहा-धोकर पवित्र हो जाएं. इसके बाद लाल या पीली साड़ी पहनकर पूरा दुल्हन की तरह सजें-संवरें. अब बांस की पूजा वाली डलिया में पूजा का सारा सामान व्यवस्थित तरीके से रख लें. अब वट (बरगद) के पेड़ के नीचे के स्थान को अच्छे से साफ़ कर वहां एक चौकी लगाकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित कर दें. इसके बाद फूल, रोली, कलावा, अक्षत, दिया, धूपबत्ती और सिन्दूर से उनका पूजन करें. इसके बाद उन्हें लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें और साथ ही फल भी चढ़ाएं. इसके बाद बेना (पंखे) से हवा करें. अब अपने बालों में बरगद का एक पत्ता खोंस लें. अब खड़े होकर 5, 11, 21, 51, 108 यानी कि विषम संख्या में वट के पेड़ के चारों तरफ परिक्रमा करें. पंडित जी से आग्रह करें कि वो वट सावित्री व्रत की कथा का पाठ करें. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. क्राइम कैप न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)