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कोरोना कमजोर होकर सर्दी-जुकाम जैसा रह जाएगा,एस्ट्राजेनेका का टीका बनाने वालीं प्रोफेसर का दावा

नई दिल्ली

कोरोना वायरस के और अधिक खतरनाक वेरिएंट मिलने की संभावना अब नहीं हैं। समय बीतने के साथ वायरस कम घातक होता जाएगा और कोविड का असर कमजोर होकर सर्दी-जुकाम जैसा रह जाएगा। यह दावा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोरोना रोधी टीके को बनाने वालीं प्रोफेसर डेम साराह गिलबर्ट ने किया।

रॉयल सोसायटी ऑफ मेडिसिन के सेमिनार में गिलबर्ट ने कहा कि दिन प्रतिदिन अधिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करती जा रही आबादी में कोरोना वायरस जितना अधिक फैलेगा उतना ही कमजोर होता जाएगा। उन्होंने कहा कि हम पहले से ही मानव में पाए जाने वाले चार तरह के कोरोना वायरस के साथ रह रहे हैं, लेकिन कभी इनके बारे में ज्यादा नहीं सोचते। इसी तरह एक समय आएगा जब हम सार्स-सीओवी-2(कोविड) की ज्यादा फिक्र नहीं करेंगे।
गिलबर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस अभी भले ही संक्रामक हो, लेकिन इसके प्रसार के लिए अब बहुत ज्यादा नए स्थान नहीं बचे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट की 59 वर्षीय प्रोफेसर गिलबर्ट की अगुवाई वाली टीम ने ही कोरोना रोधी टीका कोविशील्ड का विकास किया। उन्होंने कहा कि अब कोरोना वायरस के और घातक वेरिएंट के सामने आने की कोई वजह नहीं दिख रही है।

प्रोफेसर गिलबर्ट ने यह भी सुझाया कि कोरोना के बीटा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन में बदलाव करने का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि दोनों खुराक लगवा चुके लोगों को परिवर्तित टीके की तीसरी खुराक लगाई जाती है तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इसका असर थोड़ा ही बेहतर होगा। यह भी माना कि अध्ययन के अभाव में अभी इस बारे में निश्चितता के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।

भारत में तीसरी लहर नहीं आने को मिला बल: 
प्रोफेसर गिलबर्ट के दावे से भारतीय विशेषज्ञों के उस निष्कर्ष को मजबूती मिलती दिख रही है जिसमें कहा गया है कि भारत में तीसरी लहर आने की आशंका नहीं है। इसके पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजीज कंट्रोल के निदेशक सुजीत सिंह ने कहा था कि अगर अब कोरोना का कोई नया वेरिएंट सामने आता भी है, तो यह तीसरी लहर नहीं ला सकता। यह भी कहा था कि कि अगले छह महीने के भीतर कोरोना पैनडेमिक से एंडेमिक में तब्दील हो जाएगा।

एंडमिक से आशय एक ऐसी बीमारी से है जो हमेशा मौजूद रहती है और मानव उसके साथ जीना सीख जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक केवल उन वायरस को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है, जिनके वायरस जानवरों में नहीं पाए जाते हैं जैसे कि चेचक और पोलियो के वायरस। लेकिन कोरोना वायरस जानवरों में भी पाया जाता है, इसलिए इससे इंसान संक्रमित होते रहेंगे, लेकिन इसका कोई घातक असर नहीं होगा।

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