दिल्ली

EVM में हो सकती है हेराफेरी… तुलसी गबार्ड ने उठाए थे सवाल, अब ECI ने दिया जवाब- भारत में ऐसा संभव नहीं

भारत में चुनाव आयोग ने वोटिंग मशीनों की सुरक्षा पर भरोसा जताया है. तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी वोटिंग मशीनों की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे. भारत में मशीनें नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होतीं.

हाइलाइट्स
  • भारत में वोटिंग मशीनें नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होतीं.
  • ECI ने वोटिंग मशीनों की सुरक्षा पर भरोसा जताया.
  • सुप्रीम कोर्ट ने भी वोटिंग मशीनों को सुरक्षित माना है.

नई दिल्ली

चुनाव लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है. पहले चुनावों में बैलेट पेपर पर मुहर लगती थी. फिर गिनती में काफी समय लगता था. कई बार तो बैलेट पेपर लूटने की भी खबर आती थी. लेकिन अब वोटिंग मशीनें आ गईं हैं. इससे गिनती जल्दी हो जाती है. लेकिन क्या ये मशीनें सुरक्षित हैं? अमेरिका में तो यही सवाल उठ रहा है. वहां की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने कहा है कि वोटिंग मशीनों में बड़ी कमजोरियां हैं. उनके मुताबिक हैकर्स वोट बदल सकते हैं और चुनाव में गड़बड़ी कर सकते हैं.

इस बात पर भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सफाई दी है. शनिवार को ECI के एक सूत्र ने कहा कि कुछ देश ज़रूर ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट और प्राइवेट नेटवर्क से जुड़ी होती हैं. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. ECI के सूत्रों ने साफ कहा कि भारत में जो वोटिंग मशीनें इस्तेमाल होती हैं, वो किसी भी नेटवर्क या वाईफाई से कनेक्ट नहीं हो सकतीं. ये बिल्कुल साधारण और सटीक कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं.

ECI ने क्या-क्या कहा?
ECI ने यह भी बताया कि इन मशीनों को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी सुरक्षित माना है. अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां भी कई बार इनकी जांच कर चुकी हैं. चुनाव शुरू होने से पहले मॉक पोल भी होता है, जिसमें सभी पार्टियां देखती हैं कि मशीन ठीक काम कर रही है या नहीं. ECI के सूत्रों ने यह भी बताया कि पांच करोड़ से ज़्यादा VVPAT पर्चियों की गिनती के दौरान राजनीतिक दलों के सामने मिलान किया गया है इससे सब कुछ पारदर्शी रहे.

तुलसी गबार्ड ने क्या दिया था बयान?
गुरुवार को तुलसी गबार्ड ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उनके पास ऐसे सबूत हैं जिससे पता चलता है कि ये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के निशाने पर रहे हैं. वे वोटों में बदलाव कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इसलिए पूरे देश में फिर से पेपर बैलेट का इस्तेमाल होना चाहिए, ताकि लोगों को अमेरिकी चुनावों की ईमानदारी पर भरोसा हो सके.

इससे पहले 31 मार्च को भारत के चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के साथ एक बड़ी मीटिंग की थी. इसमें चुनाव अधिकारियों ने देशभर में 4,719 बैठकें की थीं. इसमें 28,000 से ज्यादा राजनीतिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.

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