CJI को बताया- हिजाब पहनने वाली छात्राओं को नहीं देने दे रहे परीक्षा, चंद्रचूड़ बोले- मैं लूंगा फैसला

CJI DY Chandrachud के सामने हिजाब से जुड़ी याचिका मेंशन हुई। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इसपर फैसला लेंगे।
नई दिल्ली
Hijab Row: कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब का मामला (Karnataka Hijab Row) एक बार फिर गरमा गया है। बुधवार (22 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने हिजाब से जुड़ी याचिका मेंशन हुई। एडवोकेट शादान फरसत (Shadan Farasat) ने कहा कि यह मुख्य याचिका में Interlocutory application है।
एडवोकेट फरसत ने कहा कि चूंकि 9 मार्च से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ऐसे में छात्राएं परीक्षा से वंचित रह जाएंगी। हमारी बस इतनी दरख्वास्त है कि उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने सवाल किया कि उन्हें (छात्राओं को) परीक्षा में बैठने से रोका क्यों जा रहा है? इसपर एडवोकेट फरसत ने बताया कि छात्राएं हिजाब पहनती हैं।
CJI ने कहा- मैं लूंगा फैसला
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘मैं इस पर फैसला लूंगा’। इससे पहले 23 जनवरी को भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के सामने सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने इस मामले को मेंशन किया था और उन्होंने छात्राओं की परीक्षा का हवाला दिया था। तब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अर्जेंट लिस्टिंग पर सहमति जताई थी।
हाईकोर्ट ने हिजाब पर लगा दिया था बैन
आपको बता दें कि कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब का मामला लंबे समय से सुर्खियों में है। पहले मामला हाईकोर्ट गया था। तब हाईकोर्ट ने शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया था। बाद में मामलासुप्रीम कोर्ट पहुंचा। करीब साल भर बहस के बाद पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया था, जो बंटा हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बंटा फैसला
सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच में से एक जज ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था, जबकि दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा था कि हिजाब पहनना अपनी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है। उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया। यह (हिजाब) सीधा व्यक्तिगत पसंद का मामला है और संविधान के आर्टिकल 14 और 19 से जुड़ा है जो पसंद का अधिकार देता है।
फैसले का क्या असर हुआ?
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक के तमाम सरकारी संस्थानों में हिजाब पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद तमाम मुस्लिम छात्राओं ने प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला ले लिया था। हालांकि इन दिनों सरकारी कॉलेजों में परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। इसी को देखते हुए तमाम छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति मांगी है।