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डायरेक्टर की बेटी के बदले आग में कूदे; आंख फाड़े देखती रह गई यूनिट, बन गए हीरो, हैरतअंगेज है कहानी

टीवी क्वीन एकता कपूर (Ekta Kapoor) के पापा और हिंदी सिनेमा के सदाबहार एक्टर जितेंद्र (Jeetendra) को पहली फिल्म मिलने का किस्सा किसी फिल्मी कहानी से कम दिलचस्प नहीं है. युवा जितेंद्र ने अपने हैरतअंगेज कारनामे से वी शांताराम को इम्प्रेस कर दिया और फिर तो उनकी चल निकली.

मुंबई.

हिंदी सिनेमा के हैंडसम एक्टर जितेंद्र (Jeetendra) अपने खास डांसिंग स्टाइल, व्हाइट ड्रेस और व्हाइट शूज के लिए फेमस रहे हैं. जितेंद्र एक ऐसे सदाबहार हीरो हैं जिनकी जोड़ी रेखा, हेमा मालिनी, श्रीदेवी, जया प्रदा के साथ शानदार रही है. अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में देने वाले जितेंद्र का हीरो बनने से पहले का किस्सा किसी फिल्म की कहानी की तरह है. एक्टिंग का जुनून ऐसा कि जान की परवाह भी नहीं की. चलिए, बताते हैं रवि कपूर से जितेंद्र बनने तक का दिलचस्प किस्सा.

रवि कपूर के पिता और चाचा फिल्मों की शूटिंग के लिए फिल्म इंडस्ट्री में ज्वैलरी सप्लाई करने का काम करते थे. इनके साथ कई बार जितेंद्र भी सेट पर चले जाया करते थे. शूटिंग सेट पर आते-जाते ही एक्टर बनने की लालसा रवि के दिल में पैदा हो गई थी. हालात ने कुछ इस तरह करवट ली कि पिता का देहांत हो गया और परिवार की जिम्मेदारी रवि कपूर पर आ गई.

ऑडिशन में रवि को वी शांताराम ने रिजेक्ट कर दिया
एक दिन अपने चाचा से दिल की बात कही और उनके साथ वी. शांताराम से मिलने गए. वहां पहुंचकर ऑडिशन दिया लेकिन शांताराम ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया. रिजेक्ट होने के बावजूद रवि ने हिम्मत नहीं हारी फिल्म के सेट पर बतौर एक्स्ट्रा काम करने लगे. एक दिन की बात है फिल्म से सेट पर एक सीन फिल्माया जाना था, जिसमें वी. शांताराम की बेटी राजश्री को आग से निकलना था. चूंकि राजश्री उनकी बेटी थी इसलिए कोई रिस्क न लेते हुए बॉडी डबल से शूट करवाना चाहते थे, लेकिन आग में कूदने वाले सीन के लिए कोई लड़की तैयार नहीं हुई तो जितेंद्र इस सीन को करने के लिए तैयार हो गए. कोई चारा नहीं था लिहाजा शांताराम ने रवि कपूर से सीन शूट करवाया और उनकी हिम्मत को देख खुश हो गए.

‘गीत गाया पत्थरों ने’ में बना दिया हीरो
वी. शांताराम रवि कपूर से इतने ज्यादा इम्प्रेस थे कि अपनी अगली फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में  बेटी राजश्री के साथ रवि कपूर को बतौर लीड हीरो कास्ट कर लिया और नाम भी बदल कर जितेंद्र कर दिया. इस जितेंद्र ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता की ऊंचाईयों पर चढ़ते चले गए.

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