फूलन देवी का ऑनस्क्रीन पति, जिनके आगे मनोज बाजपेयी पड़ गए थे फीके, एकमात्र हीरो जिसने जीता ‘बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड’

Bandit Queen Famed Nirmal Pandey Life Story: आज हम आपको एक ऐसे हीरो के बारे में बताएंगे, जिसने बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतकर देश-विदेश में खूब वाहवाही लूटी थी. दर्शक उन्हें ‘बैंडिट क्वीन’ में फूलन देवी के पति विक्रम मल्लाह के रूप में याद करते हैं. वे किरदारों में ऐसे उतरते थे कि उनके आगे मनोज बाजपेयी जैसे दिग्गज एक्टर भी फीके पड़ जाते थे, लेकिन इस स्वाभिमानी एक्टर का बड़ा दर्दनाक अंत हुआ. ‘बैंडिट क्वीन’ और ‘दायरा’ जैसी फिल्में करने के बाद भी उन्हें अच्छे रोल नहीं मिले. कहते हैं कि मुंबई की एक लॉबी उनके जैसे टैलेंटेड आउटसाइडर को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, जिसके चलते उनका करियर बर्बाद हो गया था.
नई दिल्ली
‘बैंडिट क्वीन’ से मशहूर हुए निर्मल पांडेय शायद सिनेमा के इतिहास के पहले ऐसे हीरो थे, जिन्होंने बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीता था. उत्तराखंड की हसीन वादियों से ताल्लुक रखने वाले निर्मल पांडेय 90 के दशक के बेमिसाल एक्टर थे. मनोज बाजपेयी जैसे एक्टर भी उनकी अदाकारी का लोहा मानते थे. उन्होंने जितने भी किरदार निभाए, उनसे दर्शकों के मन पर गहरी छाप छोड़ी. लोग उनके किरदार से नफरत करते या फिर उनके प्यार में पड़ जाते. उन्होंने अपनी एक्टिंग से विदेशी दर्शकों को भी खूब मोहित किया था, लेकिन बदकिस्मती देखिए, एक होनहार एक्टर सिर्फ 47 साल की उम्र में दुनिया से रुख्सत हो गया. कहते हैं कि बॉलीवुड की एक लॉबी उनके खिलाफ हो गई थी. (फोटो साभार: Instagram@pradipmadgaonkar)

निर्मल पांडेय का जन्म 10 अगस्त 1962 को उत्तराखंड में हुआ था. उनके माता-पिता चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करके जिंदगी में सैटल हो जाए, लेकिन निर्मल पांडेय का जन्म एक्टर बनने के लिए ही हुआ था. गली-मोहल्ले या स्कूल, जहां कहीं भी रामलीला होती, वे उसमें जरूर शामिल होते. निर्मल जब ग्रेजुएशन करने नैनीताल पहुंचे, तो कॉलेज के कला मंच से जुड़ गए, जहां उन्हें कई मशहूर नाटकों में एक्टिंग करने का अवसर मिला. वे नाटकों का निर्देशन भी करने लगे. पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश की जद्दोजहद शुरू हुई. उन्हें सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी मिल गई. वे काम करते जरूर, लेकिन मन एक्टिंग की ओर रमा रहा. (फोटो साभार: Facebook@Cinemalysis@videograb)

निर्मल पांडेय नौकरी से ऊब चुके थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 1986 के आसपास ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में दाखिले के लिए आवेदन किया, जहां वे चुन लिए गए. उन्होंने सबके मना करने के बावजूद नौकरी से इस्तीफा दिया और अपने सपनों को पूरा करने दिल्ली आ गए. उन्होंने अपने अभिनय-कौशल को खूब निखारा और लंदन पहुंच गए, जहां एक थियेटर ग्रुप से जुड़कर हीर-रांझा सहित दर्जनों प्ले किए. वे विदेशी धरती में भी खूब लोकप्रिय हुए. (फोटो साभार: Instagram@vikram.n.chauhan)

निर्देशक शेखर कपूर 1992 के आसपास जब अपनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए कास्टिंग कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात एनएसडी की एक शिक्षक से हुई. उन्होंने बातचीत में निर्मल पांडेय का नाम सुझाया, जिसके बाद डायरेक्टर ने मनोज बाजपेयी की जगह उन्हें विक्रम मल्लाह के किरदार के लिए कास्ट कर लिया. वे डेब्यू फिल्म से छा गए. (फोटो साभार: Instagram@thatindiancinephile)

निर्मल पांडेय फिर ‘दायरा’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘गॉडमदर’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हम तुम पे मरते हैं’, ‘लैला’ और ‘शिकारी’ जैसी दर्जनों फिल्मों में नजर आए. अमोल पालेकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘दायरा’ में निर्मल ने किन्नर का किरदार निभाकर खूब वाहवाही लूटी. उनके किरदार में इतनी सच्चाई थी कि उन्हें फ्रांस में बेस्ट एक्ट्रेस के वैलेंटी अवॉर्ड से नवाजा गया. वे शायद बॉलीवुड के ही नहीं, दुनिया के भी एकमात्र एक्टर हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवॉर्ड जीता था.

निर्मल पांडेय बाहर से आकर मुंबई में छा गए थे, जिससे शायद बॉलीवुड के कुछ लोगों को उनसे खतरा महसूस हुआ. हीरो के किरदार निभाने वाले एक्टर अचानक विलेन के रोल निभाने को मजबूर हुए. उन्हें धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया. लोग कहते हैं कि बॉलीवुड की एक लॉबी ने उनका करियर तबाह किया था. वे स्वाभिमानी थे, इसलिए कभी निर्माता-निर्देशकों के पास काम मांगने नहीं गए. आखिर में, वे डिप्रेशन का शिकार हो गए. 18 फरवरी 2010 को निर्मल पांडेय के अचानक निधन की खबर आई, तो उनके चाहनेवाले निराश हो गए. एक्टर को हार्ट अटैक आया था. निर्मल के निधन के करीब महीनेभर बाद उनकी आखिरी फिल्म ‘लाहौर’ रिलीज हुई थी.