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कोविड काल में अनाथ हुए बच्चे की कस्टडी मौसी से लेकर दादा-दादी को दी, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने 5 साल के बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को दे दी है. कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि दादा-दादी, बच्चे की देखभाल मौसी की तुलना में ज्यादा अच्‍छे तरीके से करेंगे.

नई दिल्‍ली.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने  5 साल के बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को दे दी है. कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि दादा-दादी, बच्चे की देखभाल मौसी की तुलना में ज्यादा अच्‍छे तरीके से करेंगे. कोर्ट ने कहा कि दादा-दादी का बच्चे के प्रति भावनात्मक जुड़ाव मौसी से ज्यादा है. कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में दादा-दादी हमेशा बच्चे की ज्यादा अच्छी देखभाल करते हैं. बेंच ने कहा कि दादा-दादी, उसकी मौसी- मामा से ज्यादा ध्यान रख पाएंगे इसलिए इस काम के लिए वे ज्यादा योग्य हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें बच्चे कस्टडी मौसी को देने की बात कही गई थी. दरअसल हाई कोर्ट ने कहा था कि मौसी अविवाहित है. वह केंद्र सरकार में नौकरी करती है और एक संयुक्त परिवार में रहती है, इससे बच्चे की परवरिश के लिए मौसी को सौंपना ठीक होगा. दरअसल बच्चे की पिता की मौत 13 मई और मां की मौत 12 मई 2021 को हो गई थी. वे दोनों ही अहमदाबाद में रहते थे. गुजरात हाई कोर्ट ने 46 साल की मौसी को बच्चे को सौंपने का फैसला सुनाया था.

दादा-दादी हमेशा अपने पोते की बेहतर देखभाल करेंगे

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि हमारे समाज में दादा-दादी हमेशा अपने पोते की बेहतर देखभाल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि केवल इनकम के आधार पर बच्चे की कस्टडी नहीं दी जा सकती है जबकि वह अपने दादा-दादी से ज्यादा अटैच है. उन्‍होंने कहा कि बच्‍चे को अच्‍छी शिक्षा अहमदाबाद में मिल सकती है, जबकि मौसी दाहोद में रहती हैं. बेंच ने कहा कि मौसी के पास बच्‍चे से मिलने का अधिकार है, वह बच्चे की सुविधा के अनुसार उससे मुलाकात कर सकती है.

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