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नागरिकों के जीवन-संपत्ति की सुरक्षा राज्य का कर्तव्य:सुप्रीम कोर्ट

‘नागरिकों के जीवन-संपत्ति की सुरक्षा राज्य का कर्तव्य’, कोर्ट ने की अहम टिप्पणी; जानें मामला…

नई दिल्ली

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने टिप्पणी की कि यह सुनिश्चित करना किसी भी राज्य का कर्तव्य है कि उसके नागरिकों के जीवन और संपत्ति की हर समय सुरक्षा हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना किसी भी राज्य का कर्तव्य है कि उसके नागरिकों के जीवन और संपत्ति की हर समय सुरक्षा हो। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह हरियाणा के झज्जर की एक कोर्ट में लंबित आपराधिक मामले को दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

झज्जर के उन 38 लोगों ने यह ट्रांसफर याचिका दायर की है, जिनकी संपत्तियों को 2016 के आंदोलन के दौरान जाट समुदाय के सदस्यों ने कथित तौर पर तोड़ दिया था। यह आंदोलन सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर किया गया था।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस आंदोलन के दौरान जाट समुदाय के सदस्यों ने तोड़फोड़ की और आगजनी की। आरोप है कि उनके घरों, गोदामों और अन्य सामान को आग लगा दी गई, जिससे भारी अपूरणीय क्षति हुई।

पीड़ित सुनील सैनी के नेतृत्व में याचिकाकर्ताओं ने मामले को इस आधार पर ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है कि एक वकील, जो कथित तौर पर बहुत प्रभावशाली है और बार का अध्यक्ष रहा है, के कारण कुछ महत्वपूर्ण गवाहों को मुकरने पर मजबूर किया गया और सामग्री दस्तावेज साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि उनके पास उक्त वकील और उनके बेटे को तलब करने के लिए सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक आवेदन था, लेकिन उनके आवेदन पर मामले के लोक अभियोजक द्वारा प्रतिहस्ताक्षर नहीं किया गया था और इसलिए उन्हें अपने मामले को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने के लिए इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा ताकि पूरा न्याय हो।

बेंच ने इस मामले में अपने हालिया फैसले में इस आधार पर मामले को ट्रांसफर नहीं किया। शीर्ष कोर्ट ने कहा,  42 गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन कहा कि इस मामले में कुछ टिप्पणियों और निर्देशों को पारित करने की आवश्यकता है।  शीर्ष कोर्ट ने कहा, कानून के शासन को संविधान की मूल संरचना के हिस्से के रूप में सही माना जाता है। यह सुनिश्चित करना किसी भी राज्य का परम कर्तव्य है कि उसके नागरिकों और अन्य व्यक्तियों के जीवन की हर समय रक्षा की जाए। यही बात उनकी संपत्तियों पर भी लागू होती है।

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